चुनाव सुधार के प्रखर प्रहरी , जगदीप छोकर नहीं रहे

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नई दिल्ली , देश में चुनावी सुधार की अलख जगाने वाले और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के संस्थापक सदस्य जगदीप एस. छोकर का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। शुक्रवार सुबह हृदय गति रुकने से उन्होंने अंतिम सांस ली। हाल के दिनों में गिरने से कंधे में चोट और उसके बाद संक्रमण की वजह से उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा था।
प्रोफेसर छोकर भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद में प्रोफेसर, डीन और प्रभारी निदेशक रहे। उन्होंने भारतीय रेलवे में मैकेनिकल इंजीनियर के रूप में भी सेवाएं दीं। लेकिन उनकी असली पहचान बनी—चुनावी सुधारों के योद्धा और नागरिक अधिकारों के सजग प्रहरी की।
चुनावी सुधार का अभियान
1999 में आईआईएम, अहमदाबाद के कुछ सहयोगियों के साथ मिलकर छोकर ने एडीआर की स्थापना की। इसी वर्ष उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की, जिसमें चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की आपराधिक, वित्तीय और शैक्षिक पृष्ठभूमि सार्वजनिक करने की मांग की गई।इस प्रयास ने भारतीय राजनीति की तस्वीर बदल दी। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 और 2003 में ऐतिहासिक निर्णय दिए और उम्मीदवारों के लिए यह जानकारी चुनाव आयोग को हलफनामे के माध्यम से देना अनिवार्य कर दिया। यह कदम भारतीय लोकतंत्र की पारदर्शिता की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ।
बहुआयामी व्यक्तित्व
चुनाव सुधारों के अलावा वे आजीविका ब्यूरो के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे, जो प्रवासी मजदूरों के मुद्दों पर काम करता है। वे केवल शिक्षक या सामाजिक कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि एक जागरूक नागरिक, वकील और पक्षी प्रेमी के रूप में भी जाने जाते थे।
लोकतंत्र के प्रहरी की विरासत
जगदीप छोकर का जीवन इस बात का प्रमाण है कि एक संवेदनशील नागरिक भी व्यवस्था की जड़ता को चुनौती दे सकता है। उन्होंने न सिर्फ चुनाव सुधार की दिशा में ठोस पहल की, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जनभागीदारी और पारदर्शिता को मजबूत करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
उनका जाना भारतीय लोकतंत्र के लिए बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी विरासत हर उस नागरिक के दिल में जीवित रहेगी जो निष्पक्ष, पारदर्शी और सशक्त लोकतंत्र का सपना देखता है।
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