बाशिक महासू महाराज के कैमाड़ा पहुंचने पर जखोली मेला हुआ शुरू
विकासनगर। बाशिक महासू महाराज के रविवार को कैमाड़ा जंगल पहुंचने के साथ ही दो दिवसीय जखोली मेले की शुरुआत हो गई। देवता के पहुंचते ही सैकड़ों लोग देव दर्शन को कैमाड़ा में डटे रहे। लोगों ने ढोल-दमौ की थाप पर हारुल नृत्य कर बाशिक महासू महाराज की आराधना की। देर शाम तक लोक गीतों के साथ परंपरागत तांदी-नृत्य की धूम रही। लोगों ने देवता के दर्शन कर परिवार की खुशहाली की मनौती मांगी। जखोली मेले के लिए रविवार सुबह बस्तील गांव से गाजे-बाजे के साथ चली देव पालकी दोपहर बाद कैमाड़ा जंगल पहुंची। यहां जखोली मेला मनाने आए विभिन्न गांवों के सैकड़ों लोगों ने बाशिक महासू के जयकारे लगाए। देव पालकी के आगमन से परंपरागत जखोली मेले की शुरुआत हो गई। जखोली मेले के पहले दिन देव दर्शन को बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने बाशिक महासू के दर्शन कर मन्नत मांगी। इस दौरान कई लोगों ने देवता से मांगी गई मन्नत पूरी होने पर अपने बच्चों के बाल भी कटवाए। जश्न मनाने के लिए बावर, शिलगांव, देवघार, फनार, बंगाण समेत आसपास के क्षेत्र के लोग गाजे-बाजे के साथ मेला स्थल पहुंचे। परंपरागत पहनावे में पहुंची महिलाओं ने देव पालकी के कैमाड़ा पहुंचने पर ढोल-दमौ की थाप पर हारुल और लोक गीतों के साथ तांदी-नृत्य की प्रस्तुति से बाशिक महासू की आराधना की। देर शाम तक नाच-गाने का दौर चला। कई नौकरी पेशा और अन्य लोग अपने छोटे बच्चों और परिवार के साथ देव दर्शन के लिए कैमाड़ा जंगल पहुंचे। शनिवार को हुई बारिश से लोगों को गर्मी से कुछ हद तक राहत मिली। इस दौरान बजीर शाठीबिल दीवान सिंह राणा, पुजारी अभिदत्त, जयपाल सिंह पंवार, आदित्य पंवार, बलवीर सिंह पंवार, विक्रम सिंह पंवार, रिंकू, विरेंद्र सिंह, किशन सिंह राणा, हरपाल राणा, रमेश डोभाल, कृपाराम, अनूप राणा, धीरज सिंह आदि मौजूद रहे।