देश-विदेश

रूस को लेकर भारत पर दबाव बनाने से बचेंगे जानसन, द्विपक्षीय संबंधों पर ज्यादा फोकस की होगी ब्रिटेन की कोशिश

Spread the love
Backup_of_Backup_of_add

नई दिल्ली, एजेंसी। गुरुवार की सुबह भारत की दो दिवसीय यात्रा पर पहुंचने वाले ब्रिटेन के पीएम बोरिस जानसन रूस को लेकर भारत पर नीतिगत दबाव बनाने की कोई कोशिश नहीं करेंगे। पिछले पखवाड़े भारत की यात्रा पर आई ब्रिटिश विदेश मंत्री एलिजाबेथ रूस और उसके बाद अमेरिका के साथ टू-प्लस-टू वार्ता में भारत ने यूक्रेन-रूस युद्घ पर जिस तेवर के साथ अपनी नीतियों को लेकर साफगोई दिखाई है उसे देखते हुए ही जानसन को ऐसा रुख अपनाना पड़ेगा।
दोनों देशों की बीच होने वाली वार्ता से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि शुक्रवार को पीएम नरेन्द्र मोदी और पीएम जानसन के बीच होने वाली शीर्ष बैठक में यूक्रेन-रूस से ज्यादा द्विपक्षीय रिश्तों पर ज्यादा फोकस होगा। दोनों पक्षों की कोशिश यह है कि जब वैश्विक व्यवस्था में बदलाव के संकेत है तब मोदी और जानसन की बैठक से भारत और ब्रिटेन के भावी रिश्तों की दशा व दिशा पर ज्यादा तवज्जो दिया जाए।
जानसन अपनी यात्रा के पहले पड़ाव के तौर पर गुरुवार को सुबह आठ बजे अहमदाबाद में अपने विशेष विमान से उतरेंगे। रात्रि 10़30 बजे वो दिल्ली आएंगे और शुक्रवार को उनकी पीएम मोदी के साथ शीर्षस्तरीय वार्ता होगी। रात्रि 10़30 बजे उनका विमान ब्रिटेन के लिए वापस उड़ान भर लेगा। सत्ता में दोबारा लौटने के बाद ब्रिटिश पीएम की यह भारतीय प्रधानमंत्री के साथ पहली विस्तृत द्विपक्षीय वार्ता होगी।
वर्ष 2021 में दो बार यात्रा की पूरी तैयारी करने के बावजूद कोरोना महामारी की वजह से जानसन भारत नहीं आ सके थे। उनकी ग्लास्गो में पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई थी लेकिन वह ज्यादा विस्तृत नहीं थी। ऐसे में आगामी वार्ता का एजेंडा बहुत ही बड़ा है। यह पूछने पर भारत पर यूक्रेन-रूस को लेकर ब्रिटेन कितना दबाव बनाएगा, ब्रिटिश उच्चायोग के एक वरिष्ठ सूत्र ने बताया कि ब्रिटेन की विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रुस ने पहले ही यह साफ कर दिया है कि ब्रिटेन भारत को यह नहीं बता सकता कि उसे क्या करना चाहिए।
एक पुराने लोकताांत्रिक व करीबी साझेदार होने की वजह से हम सिर्फ कुछ बातें भारत के समक्ष रख सकते हैं। वैसे भी यह यात्रा यूक्रेन-रूस की स्थिति को देखते हुए तय नहीं किया गया है। दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों का एजेंडा काफी बड़ा है। कारोबारी रिश्ते काफी अहम होंगे। दोनो देशों के बीच कारोबारी समझौता करने के लिए बातचीत काफी तेज रफ्तार से चल रही है।
जनवरी के बाद दो दौर की वार्ता हो चुकी है और तीसरे दौर की वार्ता अगले हफ्ते है। मोदी और जानसन इसकी समीक्षा करेंगे। हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर दोनों देशों के बीच लगातार संपर्क बना हुआ है। ब्रिटेन ने जब से हिंद प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी नीति का ऐलान किया है तब से दोनो देशों के बीच हिंद प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के नई संभावनाओं पर बात हो रही है। सामुद्रिक क्षेत्र में भारत और ब्रिटेन के बीच पहले से ही खासा संबंध है और अब इसे हिंद प्रशांत क्षेत्र में ज्यादा व्यापक बनाने की संभावना दिख रही है।
सूत्रों ने बताया कि दूसरी वजहों से हिंद प्रशांत क्षेत्र से ध्यान नहीं हटाया जा सकता। यह क्षेत्र भारत और ब्रिटेन के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गया है। दोनों नेताओं के बीच हरित तकनीकी और हरित तकनीक के लिए जरूरी फंड जुटाने के मुद्दे पर भी काफी अहम बातचीत होने की संभावना है। नवंबर, 2021 में ग्लास्गो में मोदी और जानसन ने ग्रीन ग्रिड इनिसिएटिव (दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा को एक दूसरे से जोड़ने के अभियान) की शुरुआत की थी।
इस बारे में आगे किस तरह से कदम उठाना है, इसके बारे में दोनो देशों के बीच बातचीत होनी है। इस अभियान का अगुवा भारत व ब्रिटेन ही होंगे।
यूरोपीय देशों के साथ रिश्तों पर भारत सरकार का फोकस किस तरह से बढा है, इसके बारे में हम दोनो तरफ से होने वाली यात्राओं से लगा सकते हैं। ब्रिटेन के पीएम बोरिस जानसन की यात्रा के दो दिन बाद यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सूला वो डर लेयेन नई दिल्ली आएंगी। इसी बीच नार्वे की विदेश मंत्री एनिकेन हुएतफत भी भारत 25 अप्रैल को पहुंच रही हैं। इसके बाद पीएम नरेन्द्र मोदी मई, 2022 के पहले हफ्ते में जर्मनी, फ्रांस और फिनलैंड जाने की तैयारी में हैं। पीएम मोदी की जर्मनी और फ्रांस की यात्रा की घोषणा अगले हफ्ते विदेश मंत्रालय करेगा। यूरोपीय देशों की तरफ से भारत के साथ हर तरह के रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने की कोशिश हो रही है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!