कार्बेट पार्क के नियमों के चलते जंगली जानवरों की जिन्दगी जीने को मजबूर तैड़िया और पांड गांव की जनता
– राज्य गठन के 20 साल बाद भी बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा से वंचित है ग्रामीण
– पांच किमी. पैदल चलकर मुख्य मार्ग पर आते हैं ग्रामीण
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। उत्तराखंड राज्य गठन हुए 20 साल पूर्ण हो चुके हैं, लेकिन आज भी कई गांव ऐसे हैं, जहां बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा से आज भी ग्रामीण वंचित हैं। ऐसा मामला जनपद पौड़ी में सामने आया है। विधानसभा लैंसडौन क्षेत्र के विकासखंड रिखणीखाल के ग्राम तैड़िया और नैनीडांडा विकासखंड के सीमांत गांव पांड में राज्य गठन के 20 वर्ष बाद भी ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
क्षेत्र पंचायत सदस्य कर्तिया विनीता ध्यानी ने बताया कि उत्तराखंड प्रदेश को यूपी से अलग होने के बाद 20 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं, लेकिन 20 वर्ष होने के बावजूद भी तैड़िया और पांड गांव मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। यह क्षेत्र कालागढ़ टाइगर रिजर्व और कार्बेट नेशनल पार्क रामनगर में आता है। इस संबंध में उन्होंने वन संरक्षक कार्बेट नेशनल पार्क रामनगर और उपवन संरक्षक कालागढ़ टाइगर रिजर्व को भी एक पत्र लिखा है। पत्र में क्षेपं सदस्य कर्तिया विनीता ध्यानी ने कहा कि विस्थापन के नाम पर विभाग और सरकार ने ग्रामीणों को गुमराह किया है। ग्रामीणों के हक हकूक भी एक चौथाई कर दिए है। गांव जंगल में होने के कारण यहां मुख्य मार्गांे तक आवाजाही करने के लिए पांच किलोमीटर का पैदल रास्ता है, जिसमें वहां से आवाजाही करने में ग्रामीणों को जंगली जानवरों का डर बना रहता है। कहा सरकार से सवाल किया है कि उक्त दोनों गांवों में प्रदेश सरकार की ओर से विकास के लिए बजट स्वीकृत किया गया है और किन मदों में खर्च किया गया है। इसकी धरातल पर जांच किए जाने की मांग की है। क्षेपं सदस्य विनीता ध्यानी ने बताया कि यदि गांव में किसी ग्रामीण को स्वास्थ्य लाभ लेना हो तो उसे 100 किमी. दूर कोटद्वार बेस चिकित्सालय की ओर रूख करना पड़ता है। बताया कि विगत दिवस हुई वनाग्नि की घटना से ग्रामीणों को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने वन विभाग से शीघ्र ग्रामीणों को क्षतिपूर्ति का मुआवजा दिलाए जाने की भी मांग की है।