यूपीसीएल मैनेजमेंट की रोटा कोटा की नियमावली पर भड़के जूनियर इंजीनियर

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देहरादून। यूपीसीएल मैनेजमेंट की ओर से जारी की गई सहायक अभियंता वरिष्ठता सूची को लेकर बवाल दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। पॉवर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन ने नियुक्ति में आने से पहले ही सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं को वरिष्ठता का लाभ देने पर सवाल उठाया। दिन भर ईडी एचआर के ऑफिस का घेराव करके रखा। एसोसिएशन अध्यक्ष रविंद्र सैनी ने कहा कि रोटा कोटा के नियम की गलत व्याख्या कर चयन वर्ष 2008-09 की ज्येष्ठता सूची में वर्ष 2010 के सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं को नियम विरुद्ध शामिल किया गया है।जबकि हाईकोर्ट सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं की नियुक्ति के दिन से रोटा कोटा लागू करते हुए ज्येष्ठता सूची जारी किए जाने के निर्देश दे चुका है। इसके विपरीत जाकर सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं को नियुक्ति से पूर्व विज्ञापन जारी किए जाने से रोटा कोटा लागू करते हुए, उन्हें नियुक्ति से एक वर्ष पूर्व की ज्येष्ठता दी गई है। इसे किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा। महासचिव नितिन तिवारी ने कहा कि यूपीसीएल मैनेजमेंट अपनी गलती को छुपाने को गलत तथ्य प्रचारित करवा रहा है। यूपीसीएल की ओर से कहा जा रहा है कि शासन स्तर पर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट पर ही ज्येष्ठता सूची जारी की गई है। जबकि कमेटी को नियम उपलब्ध करने की जिम्मेदारी निगम प्रबंधन की थी। निगम प्रबंधन ने कमेटी के समक्ष अभियंता सेवा नियमावली के संशोधन प्रस्तुत नहीं किए। यूपी पावर कार्पोरेशन के वर्ष 2012 में जारी जिस आदेश को इस ज्येष्ठता सूची का आधार बताया जा रहा है, उस आदेश का यूपीसीएल से कोई सम्बन्ध नहीं है। हाईकोर्ट में भी सीधी भर्ती के सहायक अभियंताओं ने गलत तथ्य को प्रस्तुत किया था। एसोसिएशन ने तय किया कि वरिष्ठता सूची निरस्त न होने तक आंदोलन जारी रहेगा। विरोध जताने वालों में राजीव खर्कवाल,मनोज कंडवाल, शीतल सैनी, प्रीति, आलोक चौहान,मनोज रावत, शशिकांत सिंह,राममनोहर, भूपेन्द्र तोपवाल, विकास कुमार,रामकुमार,राजपाल,सुनील उनियाल, अजय कुमार आदि। हाईकोर्ट का भी नहीं माना आदेश पूर्व महासचिव पवन रावत ने कहा कि यूपीसीएल की ओर से दायर की गई क्लैरीफिकेशन एप्लिकेशन में भी हाईकोर्ट ने यही स्पष्ट किया था कि एई की ज्येष्ठता रोटा कोटा के अनुसार नियुक्ति की तिथि से होगी। इसके बावजूद निगम मैनेजमेंट ने हाईकोर्ट के आदेश की मूल भावना को बदलकर नियुक्ति की बजाय विज्ञापन जारी होने की तारीख से ही वरिष्ठता का लाभ दे दिया। ये सीधे तौर पर पदोन्नत जेई के साथ अन्याय है। कोर्ट की अवमानना है। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी गई है। आपत्ति दर्ज कराने का भी नहीं दिया समय संरक्षक आनंद सिंह रावत ने कहा कि मैनेजमेंट ने अंतिम वरिष्ठता सूची जारी करने से पहले आपत्ति, सुझाव तक नहीं लिए गए। नियमानुसार पहले अनन्तिम वरिष्ठता सूची जारी कर आपत्ति, सुझाव लेने चाहिए थे। गोपनीयता के नाम पर ऐसा नहीं किया गया। पक्ष रखने तक का मौका नहीं दिया गया।

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