नौ साल के संघर्ष बाद मिला इंसाफ

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– जिला आयोग ने दिए बैंक को 10 हजार रुपये की रकम ब्याज सहित लौटाने के आदेश
देहरादून(। हरिद्वार के सलेमपुर मेहदूद निवासी कमालुद्धीन ने खाते से गलत कटे 10 हजार रुपये की रकम वापसी के लिए नौ साल लंबी लड़ाई लड़ी। उन्होंने बैंक के चक्कर काटे। जिला उपभोक्ता आयोग तक गए। आयोग ने उनके पक्ष में फैसला सुनाया, तो बैंक ने रकम लौटने के बजाए राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर कर दी। राज्य उपभोक्ता आयोग ने बैंक की दलीलों को खारिज कर कमालुद्धीन को ब्याज सहित रकम लौटाने के आदेश दिए। क्या था मामला ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स की बाहदराबाद(हरिद्वार) शाखा में कमालुद्धीन को बचत खाते पर एटीएम कार्ड मिला था। 9 फरवरी, 2016 को कमालुद्दीन ने इंडियन ओवरसीज बैंक के एटीएम से 10,000 रुपये निकालने का प्रयास किया, लेकिन राशि नहीं निकली। उन्हें खाते से 10 हजार रुपये निकाले जाने का एसएमएस मिला। उन्होंने तुरंत बैंक की ग्राहक सेवा को इसकी सूचना दी। उन्हें बताया गया कि सिस्टम की खराबी है और धनराशि 24 घंटे में उनके खाते में जमा हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर बैंक से संपर्क किया तो उनसे कैश बैक फॉर्म भरकर देने और एक सप्ताह में राशि वापस मिलने का आश्वासन मिला, लेकिन धनराशि वापस नहीं खाते में नहीं आई। इस वह उन्होंने जिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई। जिला आयोग ने कमालुद्धीन के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बैंक को 10 हजार रुपये की रकम ब्याज सहित लौटाने और दो हजार रुपए मुकदमेबाजी का खर्च कमालुद्धीन को लौटने के आदेश दिए। इस आदेश के खिलाफ ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की थी। बैंक की एक भी दलील नहीं चली राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में बैंकों ने दावा किया कि लेनदेन सफल था। हालांकि, आयोग ने पाया कि न तो ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और न ही इंडियन ओवरसीज बैंक ने सीसीटीवी फुटेज या कोई जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिससे यह साबित हो सके कि लेनदेन सफल था। भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए, आयोग ने यह भी कहा कि ग्राहक की कोई लापरवाही नहीं थी और उसने तुरंत बैंक को सूचित किया था। आयोग ने अंतिम निर्णय में बैंक की अपील को खारिज कर दिया।

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