फाजिल्का , फाजिल्का के सीमावर्ती क्षेत्र में पिछले 25 दिनों से लगातार चल रहे बाढ़ राहत कार्यों के उपरांत, ज्योति फाउंडेशन ने राहत कार्यों के पहले चरण की समाप्ति के साथ, आपातकालीन बचाव से रिकवरी और इस स्थिति से लोगों को उबारने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए औपचारिक रूप से 14 बाढ़ प्रभावित गाँवों को पुनर्निर्माण, पुनर्वास और आपदा-प्रबंधन संबंधी तैयारियों के साथ सशक्त बनाने हेतु इन गांवों को गोद लिया है।
राहत कार्यों के पहले 15 दिनों के दौरान, ज्योति फाउंडेशन ने नावों के माध्यम से व्यापक बचाव कार्यों का नेतृत्व करते हुए बाढ़ में फंसे परिवारों और पशुओं को बाहर निकालने, प्राथमिक सहायता प्रदान करने, आपातकालीन राहत उपलब्ध कराने और साँपों से बचाव हेतु प्रतिदिन 8-9 घंटे तक कार्य किया। आकलन के अनुसार, बाढ़ से 12,988 लोग प्रभावित हुए, 3,309 परिवार प्रभावित हुए, 7,365 एकड़ कृषि योग्य भूमि जलमग्न हुई और 8,000 से अधिक पशु प्रभावित हुए।
अब पानी का स्तर घटने के साथ, फाउंडेशन ने राहत और रिकवरी कार्यों के दूसरे चरण की शुरुआत की है। 4,500 से अधिक पारिवारिक राहत किटें वितरित की गई हैं और 14 गाँवों के 10,000 से अधिक नागरिकों को सीधे सहायता प्रदान की जा रही है। चिकित्सकीय टीमें मलेरिया, डेंगू और दस्त जैसी बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठा रही हैं और कीटाणुनाशक अभियानों जैसे फॉगिंग, क्लोरीनीकरण और पानी के नमूनों की जाँच जारी है।
ज्योति फाउंडेशन ने सीमावर्ती गाँव गुलाबा भैणी के स्कूल को पुन: क्रियाशील किया और स्कूल के रखरखाव, स्वच्छता, फॉगिंग, सोलर लाइटें लगाने और कीचड़ व मलबा हटाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य किया ताकि बच्चे सुरक्षित रूप से अपनी पढ़ाई दोबारा शुरू कर सकें।
ज्योति फाउंडेशन के संस्थापक अजीत बराड़, जो व्यक्तिगत रूप से राहत कार्यों का नेतृत्व कर रहे हैं, ने कहा, जब आप किसी बचाव नाव में होते हैं और परिवारों को छतों से भोजन और पानी के लिए पुकारते और हाथ हिलाते देखते हैं, तो आपको एहसास होता है कि ये सिर्फ आँकड़े नहीं हैं – यह जीवन बचाने का प्रश्न है। राहत बेहद आवश्यक है, लेकिन मुश्किल समय से उबारना भी उतना ही ज़रूरी है।
राहत कार्यों का दूसरा चरण दीर्घकालिक रिकवरी पर केंद्रित रहेगा। ज्योति फाउंडेशन ने ऐसे बुनियादी ढाँचे को तैयार करने के लिए आर्किटेक्ट नियुक्त किए हैं जो बाढ़ और आपदाओं का सामना करने में सक्षम हो। साथ ही आपदा-संबंधी प्रशिक्षण और तैयारी के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य समाज के सबसे संवेदनशील वर्गों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए स्थायी और आपदाओं का मुकाबला करने हेतु समुदायों को सशक्त बनाना है।