दक्षिण भारत के हक और लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई
नई दिल्ली , देश में लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए प्रजा शांति पार्टी के अध्यक्ष डॉ. के. ए. पॉल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने भाजपा सरकार की परिसीमन नीति के खिलाफ एकजुट होकर लडऩे का ऐलान किया है। उनका कहना है कि यह योजना दक्षिण भारतीय राज्यों की राजनीतिक आवाज दबाने और उन्हें हाशिए पर धकेलने की साजिश है। उन्होंने इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला बताते हुए विपक्षी दलों से अपील की है कि वे इससे पहले कि देर हो जाए, एकजुट होकर विरोध दर्ज करें। अगर भाजपा की प्रस्तावित परिसीमन योजना लागू होती है, तो देश की राजनीतिक संरचना असंतुलित हो सकती है। यह योजना कुछ क्षेत्रों का प्रभाव बढ़ाने और दूसरों की राजनीतिक भागीदारी सीमित करने की दिशा में बढ़ रही है, जबकि वे राज्य जिन्होंने अर्थव्यवस्था, शिक्षा और सामाजिक विकास में अहम योगदान दिया है, उनके प्रतिनिधित्व को कमजोर किया जा सकता है। डॉ. पॉल ने इस कदम को भाजपा का राजनीतिक हथियार करार देते हुए कहा, “यह परिसीमन नहीं, भेदभाव है। राज्य जिन्होंने प्रभावी रूप से जनसंख्या नियंत्रण किया है, उन्हें अब नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि अधिक जन्म दर वाले राज्यों को बढ़ी हुई सीटों से पुरस्कृत किया जा रहा है। उन्होंने इसे लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर हमला करार देते हुए कहा कि इस नीति से देश की राजनीतिक संरचना असंतुलित हो जाएगी और सत्ता एक पक्ष में सिमटकर रह जाएगी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या यह संघीय लोकतंत्र की सही परिभाषा है कि जो राज्य सुशासन और विकास में आगे हैं, उन्हें ही कमजोर किया जाए?
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