कपिल द्वार एवं शंकराचार्य द्वार का संतों ने किया उद्घाटन
हरिद्वार। म.मं.स्वामी चिदम्बरनन्द सरस्वती द्वारा निर्मित शकराचार्य द्वार एवं कपिल द्वार का निर्वाण पीठाधीश्वर स्वामी विशोकानंद भारती, अटल पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत रविन्द्र पुरी ने नारियल तोड़कर उद्घाटन किया। बंगाली मोड़ पर द्वार का उद्घाटन करते हुए निर्वाण पीठाधीश्वर स्वामी विशोकानंद भारती ने कहा कि कुंभ भारतीय सनातन संस्कृति का शिखर उत्सव है। आद्य शंकराचार्य द्वारा स्थापित अखाड़ा परंपरा का पालन करते हुए संत समाज कुंभ मेले के माध्यम से देश दुनिया में धर्म संदेश प्रसारित करता है। उन्होंने आद्य शंकराचार्य एवं महर्षि कपिल की स्मृति में द्वार का निर्माण करने वाले म.म.स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती बधाई के पात्र हैं। अटल पीठाधीश्वर स्वामी विश्वात्मानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि शंकराचार्य द्वार एवं महर्षि कपिल द्वार से कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रेरणा मिलेगी। कुंभ मेला संत महापुरूषों की तपस्थली है। आदि अनादि काल से कुंभ मेले में तपस्वी संतों के दर्शन श्रद्धालु भक्तों को प्राप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले की दिव्यता व भव्यता से धार्मिक अनुभूति अहसास श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रविन्द्रपुरी महाराज कुंभ मेले के दौरान पतित पावनी मां गंगा के अमृत समान जल में जो श्रद्धालु भक्त आस्था की डुबकी लगा लेता है। उसके जन्म जन्मांतर के पापों को शमन होकर जीवन भवसागर से पार हो जाता है। कुंभ की आलोकिक छठा सभी का मन मोहित कर उनके विचारों को सकारात्मक धर्म संदेश से ओतप्रोत कर देती है। म.म.स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि देश दुनिया को कुंभ मेला सनातन संस्कृति का दर्शन कराता है। कुंभ मेला हिंदू संस्कृति का वाहक भी है। धार्मिक अनुष्ठान व क्रियाकलाप श्रद्धालुओं में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इस अवसर पर म.म.स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती, म.म.स्वामी आनन्द चैतन्य, म.म.स्वामी कमलानंद गिरी आदि सहित बड़ी संख्या में संतजन मौजूद रहे। सनातन हिंदू वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष अमित वालिया ने सभी सत महापुरूषों को फूलमाला पहनाकर स्वागत किया।