कारगिल युद्ध: पौड़ी के 17 जाबांजों ने दिया था अपना सर्वोच्च बलिदान

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पौड़ी। विजय दिवस का नाम लेते हुए गढ़वाल राइफल का नाम भी सामने आ जाता है। अन्य रेजीमेंटों की भांति ही कारगिल युद्ध में गढ़वाल राइफल के जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। गढ़वाल राइफल के साथ ही पैरा और नागा रेंजीमेंट में शामिल यहां के जवान कारगिल युद्ध में शहीद हुए। ऑपरेशन कारगिल में पौड़ी जिले के 17 जाबांजों ने अपनी जान दी। कारगिल युद्ध के शहीदों को हर साल श्रद्धाजंलि देने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कारगिल युद्ध में शहीद हुए जाबांजों के परिजनों को तब पेट्रोल पंप भी सरकार ने दिए थे। कारगिल युद्ध में पौड़ी के भिताई गांव निवासी शहीद राफलमैन कुलदीप को वीरचक्र से नवाजा गया। थलीसैंण के सिरमोली गांव निवासी शहीद मंगत सिंह को मैंनशन इन डिस्पैच दिया गया। पौड़ी के कल्जीखाल ब्लाक के टंगरोली गांव निवासी धर्म सिंह कारगिल युद्ध में शहीद हुए। मंगत सिंह के परिजनों को गैस एजेंसी तो कुलदीप के परिजनों को पेट्रोल पंप दिया गया। शहीद कुलदीप और धर्म सिंह के नाम पर यहां इंटर कालेज और सड़क भी है। जिला मुख्यालय पौड़ी में बनाए गए शहीद स्थल पर भी अन्य युद्धों में शहीद हुए जवानों के साथ कारगिल शहीद भी शामिल है। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी मेजर करन सिंह ने बताया कि पौड़ी जिले के 17 जवान इस युद्ध में शहीद हुए। इनमें से 3 जवानों के परिजनों के अभिलेख पौड़ी कार्यालय में है। कारगिल शहीदों को सरकार की घोषणा के अनुरूप सभी सुवधिाएं मिल रही है। परिवार पेंशन और सुविधाएं शहीदों के आश्रितों को दी जा रही है।

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