उत्तरकाशी(। एक ओर जहां पूरे देशभर में कार्तिक माह की दिवाली धूमधाम से मनाई जाती है वहीं कमल सिरांई पट्टी के दो जनजातीय गांव कुफारा और धकाड़ा ऐसे हैं जहां कार्तिक माह की दीपावली नहीं मनाई जाती है। इन दोनों गांवों में दीपावली का पर्व एक माह बाद मार्गशीर्ष में मंगसीर दिवाली के रूप में मनाई जाती है। स्थानीय निवासी राजेंद्र शर्मा, उपेंद्र शर्मा और सोबन शर्मा बताते हैं कि हमारे पूर्वजों से चली आ रही परंपरा के अनुसार दीपावली मार्गशीर्ष में मनाई जाती है। इस दौरान हम अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं और पारंपरिक पोशाक, पकवान, रासो और तांदी गीतों के साथ उत्सव मनाते हैं। वे कहते हैं कि मंगसीर दिवाली की खासियत यह है कि इसमें न तो पटाखे जलाए जाते हैं और न ही खील-बताशे या लक्ष्मी पूजा की जाती है। यह पर्व पूरी तरह हमारी संस्कृति और लोक परंपरा का उत्सव है। इस दिन गांव के लोग अपने इष्ट देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं। पर्व के दौरान रासो, तांदी गीत और पारंपरिक नृत्य का आयोजन किया जाता है पटाखे, खील-बताशे और लक्ष्मी पूजा इस पर्व का हिस्सा नहीं होते। इसे जनजातीय समुदाय अपनी संस्कृति और पूर्वजों की परंपरा के रूप में संजोए हुए हैं। इन जनजातीय गांवों में दीपावली के बाद से ही मंगसीर दिवाली की तैयारियां शुरू हो जाती है।