कश्मीर पर भारत की ना के बावजूद ट्रंप ने अब चीन के साथ मध्यस्थता का दे दिया ऑफर
नई दिल्ली, एजेन्सी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन के बीच जारी सीमा विवाद में मध्यस्थता की पेशकश कर पिछले साल पाकिस्तान के साथ हुए संघर्ष की याद दिला दी। उन्होंने उस वक्त भी यही पेशकश की थी और कहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान चाहें तो वो कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता कर सकते हैं। भारत ने 5 अगस्त, 2019 को कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिया था। उसके बाद पाकिस्तान बौखलाहट में संयुक्त राष्ट्र से लेकर अमेरिका तक दौड़-भाग करने लगा। लेकिन, सवाल उठता है कि जब ट्रंप खुद ट्रेड वॉर शुरू करने के बाद से ही चीन के साथ संघर्ष में फंसे हैं तो भारत के मामले में दखल देकर वो क्या साबित करना चाहते हैं?
सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने अमेरिका गए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्रंप से कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ मामला सुलझाने में मदद की गुहार लगाई थी। इस पर ट्रंप ने भी कह दिया कि अगर भारत-पाकिस्तान, दोनों चाहें तो वो कश्मीर मसले पर मध्यस्थता के तैयार हैं। हालांकि, भारत ने दो टूक अंदाज में कह दिया था कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है। अगर पाकिस्तान खुद को इसका एक पक्ष मानता भी है तो भी इसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की गुंजाइश नहीं बनती है।
भारत की ना के बाद भी ट्रंप देते रहे ऑफर
हालांकि, ट्रंप ने भारत के इनकार के बावजूद अपनी मध्यस्थता की पेशकश जारी रखी और अपना इरादा बार-बार दोहराया। इधर, भारत अपने स्टैंड पर कायम रहा और ट्रंप से मध्यस्थता करवाने की इमरान की कोशिश बेकार गई। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने बीती बातों को भूलते हुए फिर से मध्यस्थता की पेशकश कर डाली है। इस बार भारत के साथ दूसरा पक्ष पाकिस्तान नहीं, बल्कि चीन है जिसे खुद अमेरिका सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी मानता है।
क्या है चीन-भारत का ताजा विवाद
भारत और चीन के बीच की सीमा के रूप में करीब 3,500 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (छअउ) है। पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सिक्किम के कुछ इलाकों में भारत और चीन, दोनों तरफ से सैनिकों की तादाद बढ़ाई जा रहा है, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि इलाके में हालात सामान्य नहीं हैं। 5 मई को लद्दाख और फिर 9 मई को सिक्किम में दोनों तरफ के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। लद्दाख में तो दोनों तरफ के करीब 250 सैनिकों को चोटें आई थीं जबकि सिक्किम में करीब 10 सैनिक जख्मी हुए थे।
चीन और नेपाल के साथ सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर अब राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से स्थिति साफ करने को कहा था। आज बीजेपी ने राहुल के बयान पर पलटवार किया। केंद्रीय मंत्री और सीनियर बीजेपी लीडर रविशंकर प्रसाद ने बस एक लाइन कहकर राहुल को जवाब दिया।
चीन ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सीमा में अतिक्रमण किया, इस वजह से सीमा पर तनाव की स्थिति पैदा हुई है। वहीं, भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कहा कि चीनी सैनिकों ने भारत के पेट्रोलिंग दल को ड्यूटी करने में बाधा पहुंचाई। मंत्रालय ने कहा कि भारतीय सैनिकों की सारी गतिविधियां सीमा के अंदर होती हैं। मंत्रालय ने बोर्डर मैनेजमेंट पॉलिसी का ख्याल रखने के साथ-साथ अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से तनिक भी समझौता नहीं करने की बात कही।
ट्रंप का ताजा ऑफर भी जाएगा खाली?
ध्यान रहे कि ट्रंप ने वैसे माहौल में भारत-चीन के बीच मध्यस्थता की पेशकश की है जब वो चीन पर दुनियाभर में कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगा रहे हैं। उनके इन आरोपों के कारण चीन के साथ अमेरिका का रिश्ता खुद ही बहुत बुरे दौर से गुजर रहा है। ऐसे में क्या संभव है कि चीन अमेरिकी की मध्यस्थता स्वीकार करेगा? दूसरी बात यह भी कि भारत खुद भी एक संप्रभु और सशक्त राष्ट्र है जो चीन को हर मोर्च पर कड़ी टक्कर दे रहा है। ऐसे में भारत को क्या आन पड़ी कि वो अमेरिकी मध्यस्थता पर विचार भी करे।