कलश यात्रा के साथ कथा का शुभारंभ

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: पौड़ी के कफल गांव में कलश यात्रा के साथ भागवत कथा पुराण शुरू हो गई। कथा वाचक पण्डित सुधीर बड़थ्वाल ने संपूर्ण विधि विधान के साथ कथा शुरू की।
मकर संक्रांति पर्व पर कहा कि इसका जिक्र श्रीमद्भागवत एवं देवी पुराण में भी है। शनि महाराज का अपने पिता से वैर भाव था क्योंकि सूर्य देव ने उनकी माता छाया को अपनी दूसरी पत्नी संज्ञा के पुत्र यमराज से भेद-भाव करते देख लिया था। इस बात से नाराज होकर सूर्य देव ने संज्ञा और उनके पुत्र शनि को अपने से अलग कर दिया था। इससे शनि और छाया ने सूर्य देव को कुष्ठ रोग का शाप दे दिया था। पिता सूर्यदेव को कुष्ट रोग से पीड़ित देखकर यमराज काफी दुखी हुए। यमराज ने सूर्यदेव को कुष्ठ रोग से मुक्त करवाने के लिए तपस्या की। लेकिन सूर्य ने क्रोधित होकर शनि महाराज के घर कुंभ जिसे शनि की राशि कहा जाता है उसे जला दिया। इससे शनि और उनकी माता छाया को कष्ठ भोगना पड़ रहा था। यमराज ने अपनी सौतली माता और भाई शनि को कष्ट में देखकर उनके कल्याण के लिए पिता सूर्य को काफी समझाया। तब जाकर सूर्य देव शनि के घर कुंभ में पहुंचे।

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