केदारनाथ पहुंची बाबा केदार की डोली
ऊखीमठ । बाबा केदार की डोली शनिवार को अपने धाम पहुंच गई है।17 मई को सुबह 5 बजे विधि-विधान से मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद छह माह तक धाम में ही बाबा केदार की पूजा-अर्चना होगी।
भगवान केदारनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ से धाम कैलाश के लिए प्रस्थान करते हुए रात्रि प्रवास के लिए गौरीकुंड पहुंच गई।
वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दूसरी बार प्रशासन व पुलिस की निगरानी में डोली को वाहन से पहुंचाया गया। बाबा केदार की डोली शनिवार को अपने धाम पहुंच गई है।17 मई को सुबह 5 बजे विधि-विधान से मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके बाद छह माह तक धाम में ही आराध्य की पूजा-अर्चना होगी।
शुक्रवार सुबह 5़30 बजे से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में बाबा केदार की भोगमूर्तियों का सामूहिक अभिषेक किया गया। इस मौके पर पुजारियों ने बाबा को महाभोग लगाते हुए आरती उतारी। इसके बाद गर्भगृह से भगवान केदारनाथ की भोगमूर्तियों को मंदिर के पुजारी टी. गंगाधर लिंग एवं शिव शंकर लिंग द्वारा पंचकेदार गद्दीस्थल में विराजमान किया गया।
यहां पर रावल भीमाशंकर लिंग ने केदारनाथ धाम के लिए नियुक्त पुजारी बागेश लिंग को भोगमूर्ति एवं नाग ताला सौंपा। साथ ही अचकन व पगड़ी पहनाकर छह माह की पूजा का संकल्प कराया। इसके बाद विधि-विधान से भोगमूर्तियों को चल उत्सव विग्रह डोली में विराजमान किया गया।
ओंकारेश्वर मंदिर एवं भैरवनाथ मंदिर की परिक्रमा के बाद डोली ने अपने धाम केदारनाथ के लिए प्रस्थान किया। परंपरानुसार डोली समाधिस्थल की परिक्रमा करते कुुंड-ऊखीमठ-चोपता-गोपेश्वर हाईवे पर पहुंची। जहां पर प्रशासन, पुलिस और देवस्थानम बोर्ड के अधिकारियों की मौजूद्गी में डोली को वाहन में विराजमान करते हुए करते हुए केदारनाथ धाम के लिए विदा किया गया।
चुन्नी बैंड से विद्यापीठ होते हुए बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली वाहन से सुबह 8़30 बजे विश्वनाथ मंदिर प्रवेश द्वार पर पहुंची। यहां पर मंदिर के पुजारी ने आराध्य की पूजा-अर्चना करते हुए आरती उतारी। आराध्य की डोली नारायणकोटी, बडासू, फाटा, रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग होते हुए रात्रि प्रवास के लिए सुबह 10़30 बजे गौरीकुंड पहुंची। जहां पर मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने डोली की पूजा-अर्चना की।