केदारनाथ : लापता शवों को ढूंढने में कौन वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किए जा सकते हैं: हाईकोर्ट

Spread the love

नैनीताल। हाईकोर्ट ने 2013 में केदारनाथ आपदा के मामले पर सुनवाई करते हुए वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून से अब दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है । कोर्ट ने पूछा है कि केदारनाथ त्रासदी में लापता लोगों के शवों को खोजने के लिए कौन-कौन से वैज्ञानिक तरीके इस्तेमाल किए जा सकते हैं। मामले की सुनवाई के लिए दो सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में दिल्ली निवासी अजय गौतम की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान वाडिया इंस्टिट्यूट रिपोर्ट पेश नहीं कर सकी तो कोर्ट ने दो सप्ताह का समय और दे दिया। जनहित याचिका में कहा था कि आपदा के बाद केदार घाटी में से करीब 4200 लोग लापता थे जिसमें से 600 के कंकाल बरामद करे गए थे। किन्तु आपदा के बाद आज भी 3600 लोग केदारघाटी में दफन है, जिनको सरकार निकालने को लेकर कोई कार्य नहीं कर रही है। याचिकाकर्ता ने प्रार्थना कर कहा कि सरकार इस मामले को गभीरता से लें और केदारघाटी से शवों को निकलवाकर उनका अंतिम संस्कार करवाए।सोलह जून 2103 की वह आपदा बेहद भीषण थी। आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। इनमें 991 स्थानीय लोग अलग-अलग जगह पर मारे गए। 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए। ग्रामीणों की 1,309 हेक्टेयर भूमि बाढ़ में बह गई। 2,141 भवनों का नामों-निशान मिट गया। 100 से ज्यादा बड़े व छोटे होटल ध्वस्त हो गए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *