केंद्रीय शिक्षा मंत्री निशंक पर खफा हुआ उत्तराखंड हाईकोर्ट, पूछा-क्यों न हो अवमानना की कार्रवाई

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने आवास समेत अन्य सुविधाओं का बकाया नहीं जमा करने पर पूर्व मुख्यमंत्री व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डा़ रमेश पोखरियाल निशंक से एक सप्ताह में जवाब तलब किया है। कोर्ट ने निशंक से पूछा है कि क्यों न आप के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए? मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में स्वयंसेवी संस्था रूलक की अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, भुवन चंद्र खंडूड़ी और मुख्य सचिव के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई पर रोक लगाई है, जबकि बकाया माफ करने संबंधी अधिनियम के प्रावधानों को असंवैधानिक करार देने को चुनौती देती सरकार की विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) खारिज कर दी है।
दरअसल, रूलक संस्था की जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को छह माह के भीतर बकाया भुगतान करने का आदेश दिया था। इसके बाद सरकार ने बकाया माफ करने के लिए अधिनियम बनाया, जिसे कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया। बकाया नहीं चुकाने पर रूलक ने अवमानना याचिका दायर की, जिस पर कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी को छोड़कर पूर्व सीएम बहुगुणा, ड़ निशंक, बीसी खंडूड़ी और मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
मुख्य सचिव ने हलफनामा दाखिल कर पूर्व सीएम कोश्यारी, बहुगुणा, निशंक, खंडूड़ी और दिवंगत पूर्व सीएम एनडी तिवारी की पत्नी उज्ज्वला तिवारी को बिजली व पानी का बकाया जमा करने के लिए नोटिस जारी करने की जानकारी दी। मंगलवार को न्यायाधीश न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ में अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान रूलक के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ पूर्व सीएम विजय बहुगुणा व बीसी खंडूड़ी के मामले में रोक लगाई है। इसके बाद कोर्ट ने डा़ निशंक को अवमानना नोटिस जारी किया।

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