खेल विभाग को युवा कल्याण विभाग में मर्ज करने से पूर्व गहन अध्ययन की आवश्यकता
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। पूर्व अध्यक्ष खेल समिति राजकीय शिक्षक संघ उत्तराखण्ड एसजीएफआई अन्र्तराष्ट्रीय फुटबॉल कोच सुनील रावत ने कहा कि खेल विभाग को युवा कल्याण विभाग में मर्ज करने से पूर्व इस विषय पर गहन और व्यापक अध्ययन करने की आवश्यकता है। क्योंकि ऐसा करने से एक प्रतिभावन खिलाड़ी पर उसका क्या असर पड़ सकता है इस पर गंभीर विचार किया जाना चाहिए। अन्य राज्यों द्वारा ऐसा करने पर उन प्रदेशों के खिलाड़ियों का प्रदर्शन उच्च स्तर पर अच्छा नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि इससे पूर्व भी 9वें एशियाई खेलों के दौरान 1982 में खेल एवं युवा कल्याण की स्थापना की गई थी। 1985 में अन्र्तराष्ट्रीय युवा वर्ष के आयोजन के दौरान युवा कार्य एवं खेल विभाग बनाया गया। 27 मई 2000 को इसका मंत्रालय स्थापित किया गया, लेकिन 30 अप्रैल 2008 को इस मंत्रालय को दो विभागों में विभाजित किया गया, युवा कार्य विभाग एवं खेल विभाग उन्होंने कहा कि कई ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों एवं खेल संघों ने भी इन विभागों के एकीकरण के विरोध में प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
प्रदेश के खेल मंत्री को प्रेषित पत्र में सुनील रावत ने कहा कि प्रान्तीय रक्षक दल का गठन आजादी के बाद 1948 में आजाद हिन्द फौज के सैनिकों को क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी की दृष्टि से बनाई गई थी। युवा कल्याण विभाग का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को आत्म बल एवं सांप्रदायिक सौहर्द स्थापित करने उनमें आत्मनिर्भरता एनं अनुशासन की आदत डालने तथा आत्म सुरक्षा एवं अपराधों की रोकथाम के लिए की गई थी। उन्होंने कहा कि खेल विभाग का उद्देश्य खिलाड़ियों को उचित प्रशिक्षण देना, खेल क्षेत्रों में विकास गतिविधियों और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना है। खिलाड़ियों के खेल में निखार लाने के लिए समुचित अवसर प्रदान करने की दृष्टि से विविध योजनायें कार्यवित की जा रही है। खेल विभाग स्टेडियमों, मैदानों का रख-रखाव, कुशल प्रशिक्षित कोचों द्वारा कोचिंग देकर खिलाड़ियों को राष्ट्रीय/अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाग करने योग्य तैयार करता है। उत्तराखण्ड में दो स्पोर्टस कॉलेज, सात आवासीय छात्रावास है। जिसमें विभिन्न खेलों के खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे है। सभी जिलों में विभिन्न खेलों के प्रशिक्षण कैंप चल रहे है।
सुनील रावत ने कहा कि युवा कल्याण विभाग द्वारा प्रदेश स्तर पर खेल महाकुम्भ का आयोजन विगत चार-पांच वर्षों से किया जा रहा है। जिसमें खिलाड़ी क्षेत्र स्तर से जिला स्तर एवं राज्य स्तर पर खेल महाकुंभ में खेलने का अवसर मिलता है। युवा कल्याण विभाग द्वारा आयोजित खेल प्रक्रिया में सभी खिलाड़ी प्रतिभाग नहीं कर पाते है, जबकि विद्यालयी खेलों में खिलाड़ी स्तर से ही चयनित किया जाता है, फिर चयनित खिलाड़ी क्षेत्र स्तर पर, जनपद स्तर पर और उसके बाद राज्य स्तर पर प्रतिभाग करता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में कोई बजट नहीं होता है, केवल छात्र को क्रीड़ा फीस से ही प्रतियोगिता में प्रतिभाग करवाना सम्भव होता है। क्रीड़ा फीस से ही खेल सामग्री क्रय की जाती है।