किन्नर अखाड़े पर अखाड़ा परिषद की रार ने बढ़ाई मेला अधिष्ठान की मुश्किलें
हरिद्वार। भ्ंतपकूंत ज्ञनउइी 2021 किन्नर अखाड़ा का मसला हरिद्वार में गर्माता जा रहा है। इसे लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री के बीच पैदा हुई रार ने कुंभ मेला अधिष्ठान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। किन्नर और परी अखाड़े ने कुंभ मेला अधिष्ठान से हरिद्वार कुंभ के लिए अलग मान्यता भूमि और शाही स्नान के लिए अलग समय की अधिकारिक मांग की है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने बैठक में प्रस्ताव पारित कर इसका विरोध किया है। वहीं, अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री महंत हरि गिरि ने अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रस्ताव से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए किन्नर अखाड़ा का पक्ष लिया है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि प्रयागराज में हुई अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में लाए गए इस तरह के किसी प्रस्ताव की न तो उन्हें कोई जानकारी थी और न ही उस पर उनकी कोई सहमति ली गई। उन्होंने अखाड़ा परिषद के निर्णय का विरोध करते हुए चेतावनी दे डाली कि अगर किन्नर अखाड़ा को हरिद्वार कुंभ में मान्यता नहीं मिलती है तो वह पद से इस्तीफा दे देंगे।
वहीं, इसके बाद मामले का पटाक्षेप करने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने बयान दिया कि अगर जूना अखाड़ा किन्नर अखाड़ा को अपने साथ स्नान में भाग लेने की अनुमति देता है तो उन्हें कोई शिकायत नहीं। उन्होंने किन्नर अखाड़ा को अलग अखाड़े के रूप में मान्यता देते हुए हरिद्वार कुंभ में शिरकत करने की अनुमति दिए जाने का विरोध किया। नरेंद्र गिरी ने कहा, हरिद्वार कुंभ मेला अधिष्ठान से किन्नर अखाड़ा को ऐसी किसी भी अनुमति न देने का आग्रह भी किया गया है।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री के बीच किन्नर अखाड़े को लेकर चल रही इस रस्साकशी ने हरिद्वार कुंभ मेला अधिष्ठान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, क्योंकि दोनों ही पक्षों का दबाव कुंभ मेला अधिष्ठान पर पड़ रहा है। इस बाबत हरिद्वार कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत का कहना है कि मेला अधिष्ठान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की सहमति से ही कुंभ में अखाड़ों को भूमि आवंटन शाही स्नान का समय और जुलूस इत्यादि निकालने की अनुमति देता है। उनका कहना है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में क्या चल रहा है इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं। मेला अधिष्ठान अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अधित प्रस्ताव के आधार पर सरकारी सहमति से अपनी कार्रवाई करेगा।