किराया बढ़ोतरी के बाद भी निजी बस संचालकों का बसें चलाने से इंकार
देहरादून। गढ़वाल मंडल की सबसे बड़ी मोटर कंपनी जीएमओयू के बाद कुमाऊं मोटर ऑनर्स यूनियन (केएमओयू) ने
भी अपनी बसें सड़कों पर उतारने से हाथ खडे कर दिए। उत्तराखंड परिवहन महासंघ ने भी राज्य सरकार को संकेत दिए
कि सवारियों की कमी के कारण किसी भी कंपनी के लिए बस सेवाएं शुरू करना मुमकिन नहीं है। 25 जून के बाद बसें
सरेंडर की जाएंगी। मोटर कंपनियों ने सरकार से वाहनों की आयु सीमा दो साल बढ़ाने, दो साल तक मोटर व्हीकल टैक्स
माफ किए जाने और बीमा अवधि में रियायत की मांग की है। परिवहन कारोबारियों का कहना है कि इन पर कार्रवाई के
बाद ही बसों को चला पाना कुछ संभव होगा। हर वाहन की आयु सीमा तय है। परिवहन महासंघ अध्यक्ष सुधीर राय ने
कहा कि इस वक्त पहाड़ पर चलने वाली बसों की अधिकतम आयु सीमा 15 साल है। ट्रक की बीस साल, छोटी गाड़ियों
की दस से 12 साल आयु है। इनकी आयु सीमा बढ़ने से ही वाहन मालिक को कुछ राहत मिल पाएगी। केएमओयू के
अध्यक्ष सुरेश सिंह डसीला ने कहा कि केएमओयू के लिए वर्तमान दौर में बसें चलाना मुश्किल है। सरकार टैक्स और
वाहन की आयु सीमा में दो साल की छूट दे। इसे साथ ही ड्राइवर और कंडक्टर की भी आर्थिक सहायता जरूरी है। यदि
इन मांगों पर कार्रवाई नहीं होती तो बसों को सरेंडर करने के सिवा कोई चारा नहीं बचेगा।