नहर क्षतिग्रस्त, किसानों को सता रही फसल सिंचाई की चिंता
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। नगर निगम कोटद्वार क्षेत्र के अंतर्गत वार्ड नंबर 37 पश्चिमी झंडीचौड़ सहित अन्य वार्डों में सिंचाई नहर के जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से किसानों को फसल की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। जिससे उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। किसानों को गेहूं, जौ, मटर आदि फसलों की सिंचाई की चिंता सता रही है। किसानों का कहना है कि इस संबंध में विभागीय अधिकारियों को कई बार अवगत कराया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी समस्या जस की तस बनी हुई है। उन्होंने कहा कि एक ओर तो सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रही है, वहीं किसानों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में कैसे किसानों की आय दोगुनी होगी यह समझ नहीं आ रहा है।
पश्चिमी झण्डीचौड़ में नहर जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है। कई जगह पर ऐसी टूटी है कि नहर का चालू होने के बाद सीधे खेतों में पानी जाएगा जिससे जहां एक छोर के किसानों को जरूरत से ज्यादा पानी फसल में पहुंचने के कारण फसल बर्बाद हो सकती है तो वहीं दूसरे छोर पर नहर टूटने के कारण पानी ना पहुंचने से फसलें खराब हो जाएंगी। जिसके चलते किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। पार्षद सुखपाल शाह ने बताया कि वार्ड क्षेत्र में दस वर्ष पूर्व नहर का निर्माण किया गया था। पिछले पांच वर्ष से नहर जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से पानी खेतों तक नहीं पहुंच पा रहा है। उन्होंने कहा कि नहर के आसपास के खेतों में पानी जमा होने से फसल खराब हो रही है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि सिंचाई के अभाव में धान का उत्पादन भी अपेक्षा के अनुसार नहीं हो पाया। किसान कर्ज लेकर फसल की बुआई करते है, लेकिन सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से आर्थिक नुकसान हो रहा है। वहीं नहर जगह-जगह क्षतिग्रस्त होने से किसानों को चिंता सता रही है। यदि समय रहते नहरों की मरम्मत नहीं करवाई गई तो किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। किसानों ने विभागीय अधिकारियों से जल्द से जल्द सिंचाई नहर की मरम्मत कराने की मांग की है।
नहर ही सिंचाई का एकमात्र साधन
कोटद्वार। दरअसल वार्ड नंबर 37 पश्चिमी झण्डीचौड़ क्षेत्र में रवि और खरीफ की फसलों की सिंचाई के लिए यह नहर ही एक मात्र साधन है। धान और गेहूं की सिंचाई नहर के पानी से ही होती है। लेकिन नहर जगह-जगह से क्षतिग्रस्त होने से किसानों को चिंता सता रही है कि इस बार पानी मिल पाएगा या नहीं। नहर की मरम्मत कराने को लेकर स्थानीय किसानों ने कई बार विभागीय अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अफसर किसानों की शिकायत को नजर अंदाज कर कर रहे है। नतीजा यह है कि करीब दस साल पहले बनी नहर अब किसानों की मुसीबत का कारण बन रही है। यदि समय रहते किसानों की शिकायत पर अफसर कार्रवाई करते तो नहरे क्षतिग्रस्त होने से बच सकती थी। किसानों का कहना है कि नहर के बीचों बीच कई जगहों में दरार पड़ने के कारण नहर से पानी लीक होता रहता है। कई वर्षों से नहर की मरम्मत न होने के कारण फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है। जिससे फसलों की उर्वरता पर भी प्रभाव पड़ रहा है। दिन भर किसान खेत में कार्य करते रहते है और फिर भी उन्हें उनकी मेहनत का आधा हिस्सा भी नहीं मिल पाता है।