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पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल उन्हें सुदृढ़ किया जाए : किशोर उपाध्याय

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देहरादून। वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता और उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने मुख्यमंत्री से कहा है कि पर्वतीय क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। कोविड़19 महामारी के इस संकट काल में पर्वतीय क्षेत्र के जिला अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों का सशत्तिकरण, सुदृढ़ीकरण व सुविधाओं का सृजन जरूरी हो गया है। इस समय जिला अस्पतालों में आईसीयू और सीसीयू यूनिट्स का संचालन अत्यावश्यक है। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष व राज्य के लोक सभा व राज्य सभा के सांसदों को लिखे अपने पत्र में उपाध्याय ने कहा है कि देहरादून, उधमसिंह नगर, हरिद्वार व हल्द्वानी में कोविड़ मरीजों को बेड्स उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। पर्वतीय क्षेत्र से जब तक बीमार इन अस्पतालों में पहुुंचता है, वैसे ही अधमरा हो जाता है और उसके बाद वहां बेड्स व इलाज न मिलना मानवता के प्रति अपराध है।
उपाध्याय ने कहा कि उनको जानकारी मिली है कि प्रदेश के जिला अस्पतालों में वेंटीलेटर्स पर धूल चढ़ी हुई है। मानव संसाधनों के अभाव में इन वेंटीलेटर्स को उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। यह धन की भी बर्बादी है और मानव जीवन के साथ भी खिलवाड़ है। कहा कि सर्वदलीय बैठक बुलाने का स्वागत योग्य निर्णय लिया है, लेकिन अगर यह सर्वपक्षीय होती तो अधिक सार्थक होती।
गतवर्ष लॉक डाउन के आरम्भ में ही उन्होंने, डॉ.एसएन सचान, समर भण्डारी, बच्चीराम कंसवाल, राकेश पंत, शंकर गोपाल, सतीश धौलाखंडी आदि सरोकारों से जुड़े साथियों ने यह सुझाव दिया था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री ने ध्यान नहीं दिया। सरकार होती ही इसलिये है कि वह अपने राज्य व देश के प्राणियों की रक्षा करे, निवासियों की रक्षा करें। इस संकट काल में सरकार आगे बढ़कर सेवा धर्म निभाये, प्रत्येक परिवार को प्रतिमाह सात हजार रूपये दें। सभी करों की उगाही स्थगित करें, स्कूल फीस पर नया दृष्टिकोण अपनाये। कहा कि 25 प्रतिशत सरकार, 25 प्रतिशत शिक्षण संस्थान, 25 प्रतिशत कर्मचारी और 25 प्रतिशत अभिभावक इस त्रासद काल में भार को वाहन करें। वित्तीय संस्थानों के ऋण पर भी नये दृष्टिकोण की आवश्यकता है, कोविड़ 19 के बेरोजगारी के आलम में जिन लोगों ने ढाबे, रेस्टोरेंट, होटल और वाहनों के लिये वित्तीय संस्थानों से ऋण लिये हैं, कोविड़ 19 के काल तक इन ऋणों की उगाही स्थगित की जाये और तब तक मॉरीटोरीयम अवधि बढ़ायी जाय, जब तक कार्य स्थितियां सामान्य नहीं हो जाती हैं। ऋण पर ब्याज माफ किया जाये। श्रमिकों व किसानों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। मनरेगा की मजदूरी और कार्य दिवसों को बढ़ाया जाये, किसानों की उपज की सरकारी खघ्रीद की व्यवस्था हो और उपज का समर्थन मूल्य बढ़ाया जाये।
उपाध्याय ने कहा है कि यह उपयुक्त समय है, जब राज्य के निवासियों को अरण्यजनध्गिरिजन घोषित करते हुये, उनके वनाधिकारों और हक-हकूक को वापस दिया जाये, 2006 के वनाधिकार कानून को लागू किया जाये। कहा कि हम कार्बन ¡न्यूट्रल स्टेट¡ और ऑक्सीजन प्रदाता राज्य हैं। उपाध्याय ने उत्तराखंड की राज्यपाल, विधानसभा अध्यक्ष तथा राज्य के लोक सभा व राज्य सभा सांसदों से भी आग्रह किया है कि वे इस समय राज्य के निवासियों के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन करें व राज्य की जनता के हितों की रक्षा में आगे आयें।

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