दलीप ट्रॉफी में नॉर्थ जोन की टीम का कैसा रहा है प्रदर्शन? जानिए आंकड़े

Spread the love

नईदिल्ली, दलीप ट्रॉफी के इतिहास में जब-जब सफल टीमों का जिक्र होगा, तब-तब नॉर्थ जोन का जिक्र निश्चित तौर पर किया जाएगा। भारत के इस घरेलू प्रथम श्रेणी क्रिकेट टूर्नामेंट में नॉर्थ जोन की टीम ने 18 खिताब जीते हैं। आगामी 28 अगस्त से अगला संस्करण शुरू होगा, जिसमें इस बार नॉर्थ जोन की कप्तानी शुभमन गिल करते हुए नजर आएंगे। इस बीच टीम के प्रदर्शन पर आंकड़ों के जरिए एक नजर डालते हैं।
नॉर्थ जोन ने 55 दलीप ट्रॉफी संस्करणों में हिस्सा लिया है, जिसमें से 18 बार उन्होंने खिताब जीता है। केवल वेस्ट जोन ही 19 खिताबों के साथ नॉर्थ जोन से आगे है। इस मामले में साउथ जोन तीसरे पायदान पर है, जिसने 13 खिताब जीते थे। बता दें कि 1961 में दलीप ट्रॉफी की शुरुआत के बाद से नॉर्थ जोन को अपना पहला खिताब जीतने में 13 सीजन लगे थे।
दलीप ट्रॉफी के इतिहास में नॉर्थ जोन ने 26 बार फाइनल में जगह बनाई है। उनसे ज्यादा बार फाइनल में जगह बनाने वाली टीम सिर्फ वेस्ट जोन (33) है। बता दें कि साउथ जोन ने 23 फाइनल और सेंट्रल जोन ने 16 फाइनल खेलने में सफलता हासिल की है। इस टूर्नामेंट में नॉर्थ जोन ने 106 मैच खेले हैं, जिसमें से 51 में जीत और 31 मैच हारे हैं। उनके 24 मैच ड्रॉ भी रहे हैं।
नॉर्थ जोन की ओर से विक्रम राठौड़ ने 25 मैच खेले थे, जिसमें 51.47 की औसत के साथ 2,265 रन बनाए थे। उन्होंने 6 शतक और 11 अर्धशतक भी लगाए थे। इस टूर्नामेंट के इतिहास में उनसे ज्यादा रन सिर्फ वसीम जाफर (2,545) ने बनाए थे। नॉर्थ जोन से अजय शर्मा ने 57.67 की औसत से 1,961 रन बनाए थे। गेंदबाजी में मनिंदर सिंह ने 24.12 की औसत से 83 विकेट लिए थे।
1987 में नॉर्थ जोन ने वेस्ट जोन के खिलाफ 868/10 का स्कोर बनाया था। यह टूर्नामेंट के इतिहास में 800 से ज्यादा रन का इकलौता स्कोर है। दिलचस्प रूप से दलीप ट्रॉफी के शीर्ष 8 सर्वोच्च स्कोर में से 5 नॉर्थ जोन ने बनाए हैं।
28 अगस्त से शुरू होने वाले क्वार्टर फाइनल में नॉर्थ जोन का सामना साउथ जोन से होगा। यह मैच बेंगलुरु स्थित बीसीसीआई के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस ग्राउंड में खेला जाना है। नॉर्थ जोन की टीम: शुभमन गिल (कप्तान), शुभम खजूरिया, अंकित कुमार (उपकप्तान), आयुष बडोनी, यश ढुल, अंकित कलसी, निशांत संधू, साहिल लोत्रा, मयंक डागर, युद्धवीर सिंह चरक, अर्शदीप सिंह, हर्षित राणा, अंशुल कंबोज, औकिब नबी और कन्हैया वधावन।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *