कोटद्वार में खतरा बने गिरासू और जर्जर भवन
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार में दर्जनों गिरासू भवन लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं। इन भवनों के गिरने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। जर्जर प्राइवेट व सरकारी
भवनों को लेकर नगर निगम और स्थानीय प्रशासन पूरी तरह से बेखबर बना हुआ है। बारिश के दौरान कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। गत वर्ष हुई बारिश में
कई मकानों की दीवारें तक गिर गई थी। लेकिन यह सब जानने के बावजूद अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है। नगर क्षेत्र में गिरासू भवन उनमें रह रहे व
राह चलते लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं। पूर्व पालिकाध्यक्ष के कार्यकाल के दौरान नगर क्षेत्र में करीब 40 भवन चिह्नित किए गए थे जिनमें से 19 भवनों की
स्थिति बेहद खराब बनी हुई थी। स्थिति आज भी जस की तस है और यह भवन किसी भी समय गिर सकते हैं। भवनों को खाली कराने को लेकर कई मर्तबा
नोटिस भी भेजे गए, लेकिन इसका भवन स्वामियों पर कोई प्रभाव पड़ता नजर नहीं आ रहा है। हालांकि पूर्व में नगर पालिका ने गिरासू भवनों को कानूनी प्रक्रिया
से खाली कराने का मन बनाया था। इसके तहत नगर पालिका ने एसडीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर धारा 133 के तहत कार्रवाई की मांग की थी। तब जिम्मेदार
अधिकारियों ने बताया था कि भवन स्वामियों को एक माह के भीतर भवन खाली करने का नोटिस दिया जाता है और एक माह के भीतर स्वयं खाली न करने की
स्थिति में उन भवनों से जन सुरक्षा को होने वाले खतरे को देखते हुए प्रशासन व पुलिस जबरन खाली करा सकती है। आज लम्बा समय बीतने के बाद भी अब न
तो पालिका ने कोई नोटिस जारी किये हैं और न ही ऐसे भवनों को चिन्हित किया है। बरसात का मौसम सिर पर है लेकिन पालिका को इसकी कोई परवाह ही नहीं
है। योगेश मेहरा नगर आयुक्त नगर निगम कोटद्वार ने बताया कि शहर के अंतर्गत आने वाले जर्जर भवनों का चिन्हिकरण कराया जायेगा।