कोटद्वार में भारत बंद: देर से खुली दुकानें तो यातायात रहा सुचारू व सरकारी कार्यालय यथावत खुले
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार में भारत बंद के दिन मंगलवार को दुकानें अन्य दिनों की भांति देर से खुली, लेकिन यातायात व्यवस्था जहां सुचारू रहीं वहीं सरकारी कार्यालय यथावत खुले। पुलिस कर्मी मुख्य चौराहों सहित जगह-जगह तैनात रहे। पुलिस प्रशासन की ओर से किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पूरी तैयारी की गई थी। झंडाचौक और लालबत्ती चौराहे पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी खड़ी की गई थी। जीएमओयू, मैक्स और ऑटो, ई-रिक्शा की सेवाएं पूर्व की भांति जारी रही।
भारत बंद का कोटद्वार व आसपास के पर्वतीय क्षेत्रों में मिलाजुला असर देखने को मिला। कोटद्वार के मुख्य बाजार में कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओं ने व्यापारियों से अनुरोध कर दुकानों को बंद करवाया, लेकिन भाबर व सनेह क्षेत्रों में दुकानें सामान्य दिनों की भांति खुली रही। बंद का यातायात पर कोई असर देखने को नहीं मिला। कृषि सुधार कानूनों को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसानों के समर्थन में विपक्षी पार्टियों के आह्रान पर भारत बंद का कोटद्वार में आंशिक असर नजर आया। कोटद्वार शहर में सुबह के समय जहां दुकानें बंद रही वहीं दोपहर तक अधिकांश दुकानें खुली गई थी। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में सुबह से ही दुकानें खुली रही। हालांकि रोजाना की तरह लोगों की भीड़ नजर नहीं आई। सामान्य आवागमन प्रभावित नहीं रहा। जीएमओयू, उत्तराखण्ड परिवहन निगम, ऑॅटो-टैक्सी, ई-रिक्शा सड़कों पर फर्राटा भरते नजर आए। किसानों और केंद्र सरकार के बीच कृषि बिल को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल सका है। जिस पर किसान संगठनों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया था। कोटद्वार में बंद का मिला जुला असर देखने को मिला है। सब्जी मंडी में आंशिक प्रभाव देखने को मिला। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल इस बंद का समर्थन कर रहे हैं। कोटद्वार में कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया था। मंगलवार को सुबह के समय अधिकांश व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे, हालांकि व्यापार मंडल की ओर से भारत बंद का समर्थन नहीं किया गया था, लेकिन व्यापारियों को भारत बंद में शामिल होने अथवा नहीं होने का निर्णय स्वयं लेने के लिए स्वतंत्र किया गया था। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि केन्द्र सरकार ने जो नए कृषि कानून बनाए हैं उनसे किसानों का शोषण होगा। इसलिए किसान आंदोलित हैं। पुलिस प्रशासन भारत बंद को लेकर मुश्तैद रहा। मुख्य चौक-चौराहों सहित सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस कर्मी तैनात रहे।
ग्रामीण क्षेत्र में नहीं नजर आया बंद का असर
कोटद्वार। भारत बंद का असर कोटद्वार में ग्रामीण क्षेत्र में देखने को नहीं मिला। ग्रामीण क्षेत्र में सुबह से ही दुकानें खुली रही। पुलिस बाजार क्षेत्र में गश्त करती रही। कांग्रेस कार्यकर्ता कृषि बिल वापस लेने की मांग को लेकर बाजार में घूमते हुए नारेबाजी करते रहे। कांग्रेस कार्यकर्ता व्यापारियों से दुकान बंद करने की अपील करते रहे। पुलिस-प्रशासन मौके हर गतिविधि पर नजर रखे हुए है।
कांग्रेस ने केन्द्र सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन
कोटद्वार। मंगलवार को सुबह सात बजे कांग्रेस कार्यकर्ता झंडाचौक पर एकत्रित हुए। जहां पर कार्यकर्ताओं ने किसान बिल को वापस लेने की मांग को प्रदर्शन किया। साथ ही केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं ने व्यापारियों से किसान बिल के विरोध में भारत बंद को सफल बनाने में सहयोग की अपील की। इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार ने वर्तमान में आजादी के 70 साल में मेहनत से बनाए गए सार्वजनिक प्रतिष्ठान बीएसएनएल, रेलवे, एयर पोर्ट आदि को बेचने का काम कर दिया है और अब किसानों के खेत खलियान एवं खाद्यन्न को कारपोरेट घरानों एवं पूंजीपतियों के हवाले करने की साजिश कर किसानों को गुलाम बनाने की योजना बना रही है।
प्रदर्शन करने वालों में जिलाध्यक्ष डॉ.चन्द्रमोहन खरक्वाल, महानगर कांग्रेस अध्यक्ष संजय मित्तल, महानगर अध्यक्ष महिल कांग्रेस शकुन्तला चौहान, जिलाध्यक्ष यूथ कांग्रेस अमितराज सिंह रावत, विधानसभा यूथ कांग्रेस अध्यक्ष विजय रावत, कृष्णा बहुगुणा, संतोष बहुखण्डी, बलवीर सिंह रावत, हेमचन्द्र पंवार, राजेन्द्र सिंह गुसांई, हरेन्द्र सिंह पुण्डीर, बीडी नवानी, वृजपाल सिंह नेगी, चन्द्रमोहन सिंह रावत, गोविन्द सिंह नेगी, नीरज बहुगुणा, जितेन्द्र भटिया, देवाशीष रावत, सावर सिंह नेगी, राजेन्द्र सिंह असवाल, सतेन्द्र सिंह बिष्ट, रमेश चद्र घिल्डियाल, धीरेन्द्र सिंह बिष्ट, महावीर्र ंसह रावत, नरेन्द्र सिंह नेगी, सूर्यमणि आदि शामिल थे।
यूकेडी ने की कृषि बिल को वापस लेने की मांग
कोटद्वार। उत्तराखण्ड क्रांति दल ने भारत बंद का समर्थन करते हुए कृषि बिल को वापस लेने की मांग की है। यूकेडी के केन्द्रीय महामंत्री महेन्द्र सिंह रावत ने उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा कि केन्द्र सरकार को देश के किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य एवं अन्य सुविधाएं प्रदान कर किसानों को राहत देनी चाहिए। संसद में पारित कृषि बिल को तत्काल वापस लिया जाय। उन्होंने कहा कि सरकार कृषि उत्पादों का न्यूनतम समर्थन मूल्य कानून लागू करें, कृषि उत्पादों का भंडारण पूर्व की भांति नियंत्रित एवं सरकारी नियंत्रण में हो, किसानों को अपनी समस्याओं एवं वादों के लिए प्रशासनिक इकाइयों के बजाय न्यायालयों में जाने का पूर्ण अधिकार हो, जो वर्तमान कृषि बिल में नहीं है। उन्होंने कहा कि उक्त मांगों को संसद में पारित कर किसानों के हित में लागू किया जाय। ज्ञापन देने वालों में जिलाध्यक्ष पौड़ी मनमोहन पंत, विपिन रावत, भूपाल सिंह रावत अध्यक्ष कोटद्वार महानगर इकाई, पंकज भट्ट, देवेन्द्र रावत, गुलाब सिंह, विनय भट्ट आदि शामिल थे।
किसान बिल के विरोध में तहसील में दिया धरना
कोटद्वार। युवा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव प्रवेश रावत मंगलवार को किसानों के समर्थन में तहसील परिसर में एक दिवसीय उपवास पर बैठे। वहीं किसानों के समर्थन में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने तहसील परिसर में धरना दिया। पूर्व राज्य मंत्री जसवीर राणा ने उपजिलाधिकारी योगेश मेहरा के माध्यम से राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा किसान विरोध कानून पास किया गया है। जिससे पूरे देश के किसानों में आक्रोश व्याप्त है। देश भर के किसान इन बिल को वापस लेने की मांग को लेकर पिछले 12 दिन से आंदोलनरत है। उन्होंने कहा कि कृषि कानून के रूप में केन्द्र सरकार द्वारा कृषि विरोधी बिल पास गया है। यह बिल किसी भी तरह से किसानों के हित में नहीं है। जसवीर राणा ने राष्ट्रपति से किसान बिल को वापस लेने के लिए केन्द्र सरकार को निर्देशित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की मांगों को नजर अंदाज कर रही है, जिससे अब पूरे देश में आक्रोश पनप रही है। उन्होंने कहा कि किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए केन्द्र सरकार को कृषि बिल को वापस लेना चाहिए। जिससे देश के अन्नदाता खुशहाल एवं उन्नत खेती कर सके। धरना देने वालों में नरेन्द्र सिंह, अंकित अग्रवाल, पार्षद विपिन डोबरियाल, पूरण चन्द्र सहित अन्य कार्यकर्ता शामिल थे।
किसान विरोधी बिलों को निरस्त करने की मांग की
कोटद्वार। उत्तराखण्ड जनवादी मंच एवं किसान फ्रंट ने भारत के किसानों के हितों को कुठाराघात पहुंचा रहे किसान विरोधी तीनों बिलों को अविलम्ब निरस्त करने की मांग की है। चन्द्रमोहन बड़थ्वाल ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा कि केन्द्र सरकार ने भारत कि किसानों को विश्वास में लिए बगैर अपनी शक्ति का दुरूप्रयोग एवं हठधर्मिता के साथ देश के कारपोरेट घरानों के साथ सांठ-गांठ करके लोकसभा एवं राज्यसभा में तीन कृषि विधेयक पास करके देश के किसानों के साथ घोर अन्याय वाला कानून पारित किया है। इस कानून के खिलाफ देश के किसान सड़कों पर उतरा है। उन्होंने राष्ट्रपति से तत्काल केन्द्र सरकार को उक्त तीनों कानून को निरस्त करने हेतु निर्देशित करने की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में सूरज कुकरेती, भरत नेगी सीपीएम नेता एवं जिला पंचायत सदस्य, उमेद सिंह रावत, क्रांति कुमार, मुजीब नैथानी, राजेन्द्र सिंह, मुजीब नैथानी, चन्द्रमोहन बड़थ्वाल, हरीश घिल्डियाल, हेमेन्द्र नौटियाल, अमित बहुखण्डी आदि शामिल थे।
आप कार्यकर्ताओं ने कृषि बिल के विरोध में किया प्रदर्शन
कोटद्वार। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने किसानों के आंदोलन के समर्थन में झंडाचौक में केन्द्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। इसके बाद कार्यकर्ता जुलूस की शक्ल में प्रदर्शन करते हुए तहसील परिसर में पहुंचे। जहां पर कार्यकर्ताओं ने केन्द्र सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने कहा कि केन्द्र सरकार आम आदमी पार्टी के किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के कारण बैक फुट पर है। इसी कारण केन्द्र सरकार मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को घर पर ही नजरबंद कर दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार कुछ पूंजीपति परिवारों को मात्र बढ़ावा दे रही है जिस कारण आम आदमी व अन्नदाता किसान को फसल उगाने के बावजूद भी उसका उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बिल से छोटी फसलों पर पूंजीपतियों का नियंत्रण हो जाएगा। प्रदेश प्रवक्ता अरविन्द वर्मा ने कहा कि उक्त तीनों बिल किसानों का दोहन है और पूंजीपतियों को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र सरकार यह बिल लाई है। जिसका आम आदमी पार्टी पूर्ण रूप से विरोध करती है। प्रदर्शन करने वालों में प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. चन्द्र किशोर जखमोला, हर्षिता, पवन बुड़ाकोटी, तनुज रावत, राजमोहन नेगी, सुबोध मंमगाई, मनोज रावत, नन्द किशोर जखमोला, अनीता रावत, डॉ0 विनोद सामन्त, रचना रावत, आशीष जुयाल, वीरेन्द्र रावत, गगनदीप सिंह, धनेश्वरी देवी, किशन चौधरी, पवन गुसांई, नीरज, मनोज सैनी, आकाश ढौंडियाल, हर्ष स्वरूप बेदवाल, नरेन्द्र, राजमोहन नेगी, दीपक शर्मा, वीरेन्द्र अधिकारी, प्रदीप नेगी, राहुल रावत, कुलदीप जदली आदि शामिल थे।