कोटद्वार-पौड़ी

कोटद्वार में नाबालिग भर रहें है फर्राटे, खुद को खतरे में डाल राहगीरों के लिये बने परेशानी का शवब

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जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार। कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में सबसे ज्यादा दुर्घटना का सबब नाबालिग दुपहिया वाहन चालक बने हैं। प्रशासनिक लापरवाही के कारण इन दिनों नाबालिग चालक सड़क पर वाहन चलाते हुए आसानी से देखे जा सकते है। इस कारण दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। बिना रोक-टोक सड़क पर अक्सर नाबालिग चालक फर्राटे भर रहे हैं। इन नाबालिगों को न तो यातायात नियमों की जानकारी होती है और न ही दुर्घटना होने का भय। ये जितनी तेजी से वाहन चला सकते हैं उतनी तेजी से वाहन चलाते गुजर जाते हैं। काफी रफ्तार से इन्हें वाहन चलाते देख लोग सहम जाते हैं और दुर्घटना होने की आशंका से कांप जाते हैं।
शहर की सड़कों पर नाबालिग वाहन चालक साठ से भी अधिक स्पीड में बेखौफ फर्राटे भरते नजर आते हैं। जिससे हमेशा दुर्घटनाओं की आशंका रहती है। ऐसे वाहन चालकों पर लगाम कसने के लिए न तो ट्रैफिक के जवान आगे आ रहे हैं और न ही परिवहन विभाग कार्रवाई करने किसी तरह सुध ले रही है। शायद यही वजह है कि स्पीड में वाहन चलाना युवाओं के लिए फैशन बन गया है। भीड-़भाड़ वाले इलाके में भी ऐसे युवा फर्राटे भरते देखे जा सकते हैं। स्कूली बच्चों या नाबालिग द्वारा की जा रही बेधड़क ड्राइविंग के कारण सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता जा रहा है। ऐसे वाहन चालक खुद तो हादसे का शिकार हो ही रहे हैं, दूसरों के लिए भी खतरा बने हुए हैं। बच्चों का परिपक्व दिमाग नहीं होने और लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। इस लापरवाही से न सिर्फ वे, बल्कि दूसरे वाहन चालक भी खतरे में पड़ रहे हैं। स्थानीय लोग पिछले काफी समय से इन वाहन चालकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे है। अब पुलिस ने ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है। अब नाबालिग वाहन चलाते मिले तो उनका चालान काटा जाएगा। नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने के कारण ही दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ता है। साथ ही यह दूसरों के लिए भी खतरा बने रहते हैं। कोटद्वार पुलिस ने नाबालिग के वाहन चालाने, ट्रिपल राइडिंग व वाहन चालाते समय मोबाइल पर बात करने पर चालान करने की योजना बनाई है।
कोतवाली कोटद्वार के वरिष्ठ उपनिरीक्षक प्रदीप नेगी ने अभिभावकों से भी अपील करते हुए कहा कि वह नाबालिग बच्चों एवं जिनके लाइसेंस नहीं बने उन्हें वाहन चलाने के लिए न दें। साथ ही अब यदि वह वाहन चलाते मिले तो उनके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि बिना लाइसेंस गाड़ी चलाना गैरकानूनी है। ये अभिभावक की जिम्मेदारी है कि बच्चे को गलती करने से रोकें न कि इसे बढ़ावा दें। एसएसआई प्रदीप नेगी ने बताया कि नाबालिग के वाहन चालाने, ट्रिपल राइडिंग व वाहन चालाते समय मोबाइल पर बात करने पर चालान किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि पिछले दो दिन में आठ लोगों के चालान किये गये है। इससे लगातार बढ़ रहे हादसों में कमी आएगी और अभिभावक बच्चों को व्हीकल देने से पहले सोचेंगे।

नाबालिग को वाहन चलाने की अनुमति देना अवैधानिक
कोटद्वार नगर निगम क्षेत्र में ऐसे कई लोग है जो छोटे बच्चों को स्कूटी, बाइक देकर बाजार सामान लेने या स्कूल भेज देते है। ऐसी स्थिति में सजा किसे मिलनी चाहिए। अधिकांश लोगों का मानना है कि बच्चों को गाड़ी की चाबी थमाने वाले अभिभावक ही इसके मुख्य दोषी हैं। लिहाजा, ऐसे वाहन मालिकों के लाइसेंस निरस्त कर उन पर जुर्माना लगाना चाहिए, तभी स्थिति सुधर सकती है। परिवहन नियम के अनुसार 16 साल से कम उम्र के बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति देना अवैधानिक है।

अभिभावक की पहल के बिना रोक संभव नहीं
सामाजिक कार्यकर्ता विनोद चन्द्र कुकरेती का कहना है यह समस्या तभी खत्म हो सकती है जब अभिभावक सजग होंगे। माता-पिता की अनदेखी कहें या प्रोत्साहन से ही बच्चे वाहन चलाते हैं। जो स्वयं अपने और सड़क पर चलने वाले दूसरे लोगों के लिए खतरा साबित होते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे जो नियम विरुद्ध वाहन चला रहे हैं, उनके अभिभावकों पर कार्रवाई होनी चाहिए। जब तक यह नहीं होगा तब तक बच्चे वाहन चलाते रहेंगे और दुर्घटनाएं होती रहेंगी। उन्होंने बताया कि नाबालिग बच्चों के वाहन चलाने से सबसे ज्यादा परेशानी वरिष्ठ नागरिकों को झेलनी पड़ती है।

नियमों की नहीं परवाह
शहर में युवा, बच्चे, बूढ़े, महिला सहित सभी वर्ग के लोग सड़कों में सफर करते हैं। कई राहगीर अपने गंतव्य तक जाने के लिए सड़कों पर पैदल चलते नजर आते हैं, लेकिन कुछ युवा इनके सफर को खतरे में डाल देते हैं जो नियमों को ताक में रहकर फर्राटे भरते हुए गलत साईड से ओवर टेक करते हैं। इतना ही नहीं कई बार ये वाहन चालक हॉर्न की आवाज तेज कर लहराते हुए सड़कों पर कलाबाजी करते भी देखे जा सकते हैं। ऐसे बाइकर्स के वाहनों पर ब्रेक लगाने की पुलिस जहमत तक नहीं उठा रही है। भीड़भाड़ वाले इलाके में वाहन चालक यह भूल जाते हैं कि उनकी एक गलती और शौक कईयों की जान जोखिम में डाल सकता है। कई बार यह तेज रफ्तार ही वाहन चालक की मौत का कारण बन सकता है। कई अभिभावक तो कम उम्र के बच्चों को वाहन की चाबी बड़े शौक से सौंप देते हैं पर ये नहीं सोचते कि कहीं उनकी यह लापरवाही बच्चों को मुसीबत में न डाल दें।

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