भ्रष्टाचार का गढ़ बना कोटद्वार नगर निगम, फिर सामने आया 80 लाख का घपला
तत्कालीन नगर आयुक्त व कोषाधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर चहेतों को बांटी धनराशि
पूर्व में सामने आए 23.89 लाख के घोटाले में पार्षद व महिला ठेकेदार जा चुकी है जेल
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: कोटद्वार नगर निगम भ्रष्टाचार का गढ़ बनता जा रहा है। फर्जी दस्तावेज के अधार पर 23.89 लाख की धनराशि निकालने का मामला अभी चल ही रहा था कि 80 लाख रुपये का एक और घपला सामने का आ गया। तत्कालीन नगर आयुक्त व कोषाधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर स्वयं के चहेतों को सरकारी धनराशि का बंदरबांट किया गया है।
अक्टूबर माह में नगर निगम की बैलेंस शीट तैयार करने के दौरान 23.89 लाख रुपये का घपला सामने आया था। जिसमें तत्कालीन नगर आयुक्त व अन्य अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर खाते से रकम निकाली गई थी। मामले में नगर आयुक्त किशन सिंह नेगी ने कोतवाली में तहरीर दी थी। तहरीर में कहा गया था कि न सिर्फ चेक पर बल्कि सरकारी दस्तावेजों पर भी नगर आयुक्त सहित अन्य अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर दिए गए। मामले में पुलिस ने नामजद महिला ठेकेदार सुमिता देवी के साथ ही पार्षद कुलदीप सिंह को गिरफ्तार कर दिया था। जबकि, मुख्य आरोपी तत्कालीन लेखाकार पंकज रावत अब भी फरार चल रहा है। यह मामला अभी गरम ही था कि नगर निगम में 80 लाख रुपये के गमन का एक ओर मामला प्रकाश में आ गया है। उक्त मामले में भी अलग-अलग चेक पर तत्कालीन नगर आयुक्तों व अन्य अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर चेहतों में करीब 80 लाख की धनराशि का बंदरबांट किया गया। यही नहीं जब संबंधित नगर आयुक्तों से उनके हस्ताक्षर के संबंध में जानकारी चाही गई तो आयुक्तों ने संबंधित कार्यों की मूल पत्रावली दिखाने का आग्रह किया। लेकिन, नगर निगम कार्यालय से कार्यों की मूल पत्रावलियां ही गायब कर दी गई। वहीं, नगर निगम कोटद्वार में लगातार खुल रहे एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
नगर आयुक्त के कार्यों की प्रशंसा
नगर निगम में एक के बाद एक भ्रष्टाचार का खुलासा कर रहे नगर आयुक्त किशन सिंह नेगी की हर कोई प्रशंसा कर रहा है। वहीं, शासन की ओर से दो दिन पूर्व ही उनके तबादले के आदेश जारी करने पर भी आमजन में रोष बना हुआ है। यही नहीं पार्षदों ने भी नगर निगम में हुए घोटालों की जांच एसआईटी से करवाने की मांग की है।
फर्जी हस्ताक्षर कर जारी कर दिए मानचित्र
नगर निगम में लाखों की धनराशि गबन के साथ ही फर्जी हस्ताक्षर कर भवन निर्माण के मानचित्र भी जारी करने का मामला प्रकाश में आया है। इस संबंध में सहायक नगर आयुक्त अजहर अली की ओर से कोतवाली में तहरीर दी गई है। जिसमें उन्होंने बताया कि एक जुलाई को सुशीला देवी मनराल के भवन मानचित्र पत्रावली की जांच को तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। एक नवंबर को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। जांच रिपोर्ट में कहा गया कि उक्त मानचित्र पत्रावली में तत्कालीन पटल सहायक ने कूटरचित ढंग से भवन मानचित्र नक्शे पर तत्कालीन अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर किए हैं। भवन मानचित्र स्वीकृति के विरुद्ध काटी गई धनराशि बोर्ड फंड में जमा नहीं की गई। साथ ही भवन मानचित्र से संबंधित दस्तावेज-अभिलेख गुम हुए हैं।