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कृषि कानून पर बवाल, रेल सेवा बनी निशाना

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नई दिल्ली, एजेंसी। कृषि संबंधी बिलों पर प्रदर्शन के बीच ट्रेनों को रास्ता देने को लेकर लेकर केन्द्र और पंजाब सरकार में छिड़ी जंग के चलते भारतीय रेलवे को करीब 12 सौ करोड़ रुपये का भारी नुकसान उठाना पड़ा है। प्रदर्शन के चलते 2,225 मालगाड़ियों को रद्द करना पड़ा जबकि 1350 पैसेंजर ट्रेनों को या तो रद्द करना पड़ा या फिर उसके रास्ता बदला गया।
केन्द्र सरकार की तरफ से मनसून सत्र के दौरान कृषि संबंधी बिलों को मंजूरी देने के बाद से ही पटरी पर भारी प्रदर्शन को देखते हुए पंजाब में 25 सितंबर से करीब एक महीने तक ट्रेनें रोक दी गईं। रेलवे के आंकड़ों के मुताबिक, करीब 70 पैसेंजर ट्रेनें रोजाना प्रभावित हुईं और कुल 1373 पैसेंजर ट्रेनों का या तो रद्द करना पड़ा या फिर उसका रास्ता बदलना पड़ा। इसकी वजह से रेलवे को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। रेल मंत्री ने बुधवार को दावा किया कि पंजाब में इस वक्त रेलवे की पटली से लगी 32 जगहों पर प्रदर्शनकारियों की तरफ से विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है, जिसकी वजह से ट्रेनों की आवाजाही अभी निलंबित रहेगी।
रेलवे मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा- प्रदर्शनकारियों का लगातार प्लेटफर्म्स या रेलवे पटरी के पास प्रदर्शन जारी है। प्रदर्शनकारियों की तरफ से कई जगहों पर खासकर जांदियाला, नाभा, तलवंडी साबो और बठिंडा में ट्रेनों की अचानक आवाजाही रोके जाने के चलते अपरेशनल और सुरक्षा के मद्देनजर ट्रेनों की मूवमेंट्स रोक दी गई है।
उन्होंने कहा- वे सभी ट्रेनों जो पंजाब से होकर गुजरती थीं, उनके ऊपर भी काफी बुरा असर पड़ा है। अभी तक करीब 1350 पैसेंजर ट्रेनों को रद्द, डायवर्ट या उसका रास्त छोटा करना पड़ा। इसके चलते कोरोना के समय में यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। केंद्र के अनुसार, पंजाब, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में आवश्यक वस्तुओं सहित सभी आवक और जावक माल परिवहन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। रेलवे मंत्रालय के मुताबिक, माले से लदी ट्रेनें समेत कई मालगाड़ियां निलंबन के चलते 15 से 20 दिनों तक फंसी रही।

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