कृषि विधेयकों के खिलाफ 25 सितंबर को किसान करेंगे भारत बंद, राजमार्ग और रेलमार्ग हो सकते हैं बाधित

Spread the love

नई दिल्ली , एजेंसी। किसान विधेयकों के मुद्दे पर विपक्षी दलों के अलावा देश के करीब 250 छोटे बड़े किसान संगठनों ने 25 सितंबर के राष्ट्रव्यापी बंद को सफल बनाने के लिए कमर कस ली है। कई राज्यों के किसानों में इन विधेयकों को लेकर भारी गुस्सा व्याप्त है। उसे देखते हुए केंद्र एवं राज्य सरकारें बड़े पैमाने पर पुलिस बंदोबस्त कर रही हैं। किसान नेताओं के मुताबिक इसी पुलिस बंदोबस्त के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग और रेल रूट जाम किए जा सकते हैं। अगर सरकार ने उन्हें रोकने या किसानों पर बल प्रयोग करने जैसा कोई कदम उठाया तो केंद्र और संबंधित राज्य सरकार को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
देश के बड़े किसान संगठन अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के संयोजक सरदार वीएम सिंह का कहना है कि पहले कुछ लोगों ने मीडिया में ये खबर फैला दी थी कि ये आंदोलन तो तीन-चार राज्यों का है। अब 25 सितंबर को यह पता चलेगा कि देश का हर राज्य किसानों के साथ खड़ा है। तकरीबन सभी राज्यों में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होंगे। किसानों का यह बंद पूरी तरह कामयाब रहेगा।
सरदार वीएम सिंह कहते हैं कि अब किसान और धोखा नहीं सहेगा। समय आ गया है कि किसान विरोधी सरकार को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए। किसानों की समस्याओं को उठाने वाले करीब ढाई सौ संगठन हैं। वे सब अपने अपने तरीके से बंद को सफल बनाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। दक्षिण भारत के राज्यों में भी इस बंद का व्यापक असर देखने को मिलेगा।
एआईकेएससीसी के सभी राज्य संयोजक अपने क्षेत्रों में किसानों के साथ बंद में भाग लेंगे। अगर कोई राजनीतिक दल किसानों के साथ आता है तो उसका स्वागत है। हालांकि हमें ऐसी खबरें मिल रही हैं कि कुछ राजनीतिक दल अपने स्तर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन और बंद में शामिल होने का मन बना रहे हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के वर्किंग ग्रुप के वरिष्ठ सदस्य एवं किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा, किसान इन विधेयकों को लेकर गुस्से में हैं। राजस्थान में बड़े स्तर पर बंद का असर देखने को मिलेगा। कृषि संबंधित बिल, किसानों के हित में नहीं हैं।
यही वजह है कि सभी किसान संगठन इनका विरोध कर रहे हैं। इससे पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, महाराष्ट्र, यूपी और दूसरे राज्यों के राजस्व पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। जहां तक लाभ की बात है तो वह केवल निजी कंपनियों को होगा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए अनाज खरीदने वाली संस्थाएं जैसे फूड कर्पोरेशन अफ इंडिया, का भी अस्तित्व नहीं बचेगा।
केंद्र सरकार ने इन विधेयकों को लेकर किसानों के साथ विचार-विमर्श करना भी जरूरी नहीं समझा। किसान के संगठन के सदस्य हन्नान मौला, अविक साहा और सत्यवान के मुताबिक हर राज्य का किसान अब जागरूक हो गया है। 25 सितंबर के बंद के दौरान किसान की ताकत देखने को मिलेगी। हो सकता है कि देश में अधिकांश जगहों पर राष्ट्रीय राजमार्ग और रेलवे रूट बाधित हो जाएं। हालांकि हमारा प्रयास रहेगा कि किसान शांतिपूर्वक तरीके से अपनी बात सरकार के कानों तक पहुंचाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *