उत्तराखंड

धारचूला के जुम्मा गांव में कुदरत ने मचाया तांडव

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पिथौरागढ़। धारचूला विकासखंड का आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा गांव जुम्मा में प्रकृति ने जमकर तांडव मचाया है। कल तो जो गांव खुशहाल हुआ करता था, अब वहां सन्नाटा पसरा हुआ है। नन्हे बच्चों की किलकारी से गूंज रहे घर अब मलबे से पटे हैं। जिंदगी की तलाश के लिए स्थानीय लोगों के साथ ही रेस्क्यू टीम खोजबीन में लगी हुई है। जुम्मा के जामुनी तोक में रहने वाले 30 परिवारों के लिए रविवार की रात आसमान से बारिश आफत बनकर बरसी। रविवार को पूरे दिन रिमझिम बारिश के बाद शाम 7 बजे से बारिश की रफ्तार तेज हुई। इसके बावजूद अनहोनी से अनभिज्ञ गांव के अधिकतर लोग रोज की तरह रात को भोजन करने के बाद करीब 9 बजे तक सो गए। सामाजिक कार्यकर्ता रूप सिंह धामी ने बताया कि अधिकतर घरों में लोग भोजन के बाद सो जाते हैं। रविवार रात भी यही हुआ। उन्हें क्या पता था कि सोमवार को सूर्य की पहली किरण से पहले उनका सब कुछ मलबे में दफन हो जाएगा। रात करीब बारह से एक बजे के बीच आसमान से आफत इस गांव पर कहर बनकर बरसी। भूस्खलनन से सात घर जमीजोद हो गए। भारी मात्रा में पानी और मलबे के प्रचंड वेग में अंदर सो रहे दस लोग दफन हो गए। रविवार तक जिन घरों के आंगन दिन में बच्चे, बड़े बुजुर्गों की चहलकदमी से आबाद रहते थे। अब उनका दूर-दूर तक कहीं पता नहीं है। मकानों का मलबा एक किमी दूर पहुंच गया है। घरों के नीचे लहलहाते खेत भी अतीत बन गए हैं।

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