‘शिक्षा, प्रशासन और शासन में कुमाउनी को मान्यता दी जाए’

Spread the love

रुद्रपुर()। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान रुद्रपुर में आयोजित तीन दिवसीय 17वें राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन का रविवार को समापन हो गया। समापन सत्र के मुख्य अतिथि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रफुल्ल चंद्र पंत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और गढ़वाली भाषाएं उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान की आधारशिला हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को शिक्षा, प्रशासन और शासन में मान्यता देने की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन में विभिन्न विद्वानों ने कुमाउनी भाषा की ध्वन्यात्मकता, व्याकरण और उपभाषाओं पर शोध पत्र प्रस्तुत किए। सम्मेलन में कुमाउनी व्याकरण कोश और लोककथा संकलन तैयार करने के प्रस्ताव पारित किए गए। साथ ही कुमाउनी साहित्यकारों को सम्मानित भी किया गया। सम्मेलन में सरकार से पांच प्रमुख कुमाउनी को द्वितीय राजभाषा घोषित करने, प्राथमिक शिक्षा में इसे वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने, भाषा शिक्षकों का प्रशिक्षण प्रारंभ करने, कुमाउनी भाषा संस्थान को नियमित बजट प्रदान करने, साहित्य और फिल्म क्षेत्र में कुमाउनी भाषा के लिए पुरस्कार स्थापित करने की मांगें की गईं। समापन अवसर पर कुमाउनी गीतों की गूंज के बीच विशिष्ट अतिथि डॉ. केसी चंदोला ने सम्मेलन को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ते हुए पौधरोपण और जल संरक्षण का संकल्प दिलाया। इस मौके पर डॉ. हयात सिंह रावत, मुख्य संयोजक डॉ. बीएस बिष्ट और सह संयोजक डॉ. ललित मोहन उप्रेती आदि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *