उत्तराखंड

केविके ने जीवामृत और बीजामृत बनाने की जानकारी दी

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चम्पावत षि विज्ञान केन्द्र लोहाघाट की ओर से बौतड़ी में दिवसीय प्रातिक खेती पर प्रशिक्षण शुरू हो गया है। प्रशिक्षण में 55 किसानों ने प्रतिभाग कर रहे हैं। बौतड़ी में षि विज्ञान केन्द्र प्रभारी अमरेश सिरोही ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए किसानों को रसायन मुक्त खेती करने की सलाह दी गयी। कार्यक्रम सहायक फकीर चन्द्र ने रसायन मुक्त षि और पशु आधारित षि बताते हुए प्रातिक रूप से प्राप्त आदानों से शून्य बजट को प्रातिक खेती की संज्ञा दी। उन्होंने किसानों को प्रातिक खेती के तहत जीवामृत, बीजामृत, आच्छादन, वापसा और सह फसली खेती के विषय में किसानों को जानकारी दी। उन्होंने जीवामृत और बीजामृत का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण किसानों को दिया गया। जीवामृत बनाने के लिए 40 लीटर,दो किलो देसी गाय का गोबर, दो लीटर देसी गाय का मूत्र, पांच ग्राम पेड़ की जड़ की मिट्टी, बेसन दो सौ ग्राम, गुड़ दो सौ ग्राम डालने को कहा। बीजामृत बनाने के लिए 2 लीटर पानी, आधा किलो गोबर, आधा लीटर गोमूत्र, पांच ग्राम चूना, पांच ग्राम मिट्टी से बनाना सिखाया गया। ड़ सचिन पन्त ने सर्दियों में डेयरी प्रबन्धन और पशुओं में वाह्य और अन्त: परजीवियों के रोकथाम की जानकारी दी। ड़ रजनी पंत ने फल वृक्षों के काट-छांट, बेमौसमी सब्जी उत्पादन की जानकारी दी।

 

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