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उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में लैंड सरफेस का तापमान हुआ 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर

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नई दिल्ली, एजेंसी। यूरोपियन स्घ्पेस एजेंसी ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया है कि 29 अप्रैल(शनिवार) को सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों के अनुसार उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में भूमि की सतह का तापमान 60 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है। इनसैट 3डी, कपरनिकस सेंटिनल 3 और नासा के एक सेटेलाइट से ली गई लैंड सरफेस की छवियों ने उत्तर पश्चिम भारत के इलाकों में भूमि की सतह के बढ़ते तापमान का संकेत दिया है। वहीं कई वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट को सत्यापित करने की बात की और साथ ही हीटवेव के गंभीर प्रभावों को लेकर चिंता जताई है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक आशिम मित्रा जो उपग्रहों के डाटा डिकोडिंग में माहिर हैं ने ट्वीट किया कि विभिन्न सेटेलाइट सेंसर से भूमि की सतह का तापमान नोट किया गया, जो एक सामान्य अवलोकन में भूमि की सतह का सटीक तापमान प्राप्त करने में सक्षम है। आज कई क्षेत्रों में 60 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया है।एडीएम ने अप्रैल29 को ट्वीट किया कि पाकिस्तान और भारत में आज चौथे दिन तीव्र गर्म हवा को देखा गया। 29 अप्रैल को कपरनिकस और सेंटिनल 3 सेटेलाइट पर एकत्र किया गया एलसटी (भूमि की सतह का तापमान, हवा का नहीं!) का अधिकतम मूल्य 62डिग्री सैल्सियस से अधिक दर्शाता है।उधर, आईएमडी के महानिदेशक एम महापात्रा ने कहा कि जमीनी सत्यापन करने से पहले इस डेटा पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। सेटेलाइट अवलोकन सतह से 36,000 किमी दूर से लिए जाते हैं। सत्यापित नहीं होने पर वे भ्रामक हो सकते हैं। राजस्थान में रिकार्ड उच्चतम भूमि का तापमान 52़6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। यह डेटा भय और दहशत पैदा कर सकता है, इसलिए हमें जिम्मेदारी से काम करना चाहिए।
वहीं एक अन्य वैज्ञानिक ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि 60 डिग्री सेल्सियस का क्या मतलब होता है? सड़कें और अन्य बुनियादी ढांचा पिघल जाएगा। मैंने राजस्थान में 50 डिग्री सेल्सियस पर सड़कों को पिघलते देखा है। हमें बहुत सावधान रहना चाहिए और पहले जमीनी आकलन करना चाहिए।यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की वेबसाइट ने यह दावा किया गया कि उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में लैंड सरफेस का तापमान 55 डिग्री सेल्सियस के करीब है। यह कई इलाकों में 60 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है।ईएसए ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि कोपरनिकस सेंटिनल -3 मिशन के डेटा का उपयोग कर यह फोटो तैयार किया गया।देश के अधिकांश हिस्सों में भूमि की सतह के तापमान को दर्शाती है। सेंटिनल -3 मिशन सतह के तापमान का सटीक माप प्राप्त करने में सक्षम है। 29 अप्रैल (स्थानीय समयानुसार 10रू30) को बादल के कवर की अनुपस्थिति के कारण कई क्षेत्रों में 60 डिग्री सेल्सियस से अधिक था।डेटा से पता चलता है कि जयपुर और अहमदाबाद में सतह का तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है, जबकि अधिकतम 65 डिग्री सेल्सियस की भूमि की सतह के तापमान के साथ सबसे गर्म तापमान अहमदाबाद के दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में रहा। (गहरे लाल रंग में दिखाई देता है)।आशिम मित्रा ने समझाया कि हमने कल शाम इन भूमि की सतह के तापमान पर ध्यान दिया। वे बेहद ऊंचे हैं। कुछ उच्चतम भूमि तापमान राजस्थान, गुजरात, तेलंगाना, पंजाब और मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए। एंटीसाइक्लोनिक हवाएं भूमि पर बहुत गर्म हवा ला रही हैं, वर्षा थम गई है इसलिए भूमि शुष्क है और सीधी धूप है। उन्होंने कहा कि इस मौसम के दौरान सामान्य सतह का तापमान 45 से 55 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है।
एक वैश्विक आपदा जोखिम प्रबंधन कंपनी आरएमएसआई प्राइवेट के सीनियर वीपी-सस्टेनेबिलिटी पुष्पेंद्र जौहरी ने कहा कि यह डेटा अभूतपूर्व है। हम अपनी टीम के साथ सत्यापित करना चाहते हैं और फिर उस पर टिप्पणी करना चाहते हैं। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इस मार्च और अप्रैल में असामान्य रूप से उच्च तापमान जलवायु संकट से जुड़े हैं।
भारत और पाकिस्तान में अत्यधिक गर्मी के लिए केवल जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराना जल्दबाजी होगी। हालांकि, यह बदलती जलवायु में हम जो अपेक्षा करते हैं, उसके अनुरूप है। हीटवेव लगातार अधिक और अधिक तीव्र होती हैं और पहले की तुलना में पहले शुरू होती है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल अन क्लाइमेट चेंज ने अपने छठे आकलन की रिपोर्ट में कहा कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, इस सदी में दक्षिण एशिया में हीटवेव और आर्द्र गर्मी का तनाव अधिक तीव्र और लगातार होगा।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि इस मार्च और अप्रैल में असामान्य रूप से उच्च तापमान जलवायु संकट से जुड़े हैं। भारत और पाकिस्तान में अत्यधिक गर्मी के लिए केवल जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराना जल्दबाजी होगी। हालांकि, यह बदलती जलवायु में हम जो अपेक्षा करते हैं, उसके अनुरूप है। हीटवेव लगातार अधिक और अधिक तीव्र होती हैं और पहले की तुलना में पहले शुरू होती है। इंटरगवर्नमेंटल पैनल अन क्लाइमेट चेंज ने अपने छठे आकलन की रिपोर्ट में कहा कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, इस सदी में दक्षिण एशिया में हीटवेव और आर्द्र गर्मी का तनाव अधिक तीव्र और लगातार होगा।

 

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