भरतपुर , राजस्थान सरकार ने भर्ती परीक्षाओं में धांधली रोकने के लिए बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन जैसे सख़्त इंतज़ाम किए हैं, लेकिन फर्जीवाड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा। ताज़ा मामला भरतपुर से सामने आया है, जहां पुलिस ने एक ऐसे युवक को पकड़ लिया, जिसने पिछले दो साल में कम से कम तीन बड़ी परीक्षाओं में डमी उम्मीदवार बनकर पेपर दिया और लाखों रुपये वसूले।
भीलवाड़ा में आयोजित कांस्टेबल भर्ती परीक्षा-2025 में यह गड़बड़ी सामने आई। शास्त्री नगर रोड स्थित एसएमएम गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बायोमेट्रिक जांच के दौरान सुनील कुमार गुर्जर निवासी बागथर, धौलपुर संदिग्ध पाया गया।
सिस्टम में पहले से दर्ज फिंगरप्रिंट मैच होने पर अलर्ट मिल गया। जांच करने पर सामने आया कि सुनील ने पहले किसी और के नाम से परीक्षा दी थी।
भरतपुर पुलिस अधीक्षक दिगंत आनंद ने बताया कि 1 जून 2025 को भरतपुर में हुई प्री-डीएलएड परीक्षा में सुनील ने दीपक गुर्जर निवासी बयाना, भरतपुर की जगह पेपर लिखा था। उस समय धोखाधड़ी पकड़ में नहीं आई और दीपक परीक्षा पास भी कर गया। लेकिन जब सुनील अपने ही नाम से कांस्टेबल परीक्षा देने आया तो उसका पुराना रिकॉर्ड उजागर हो गया और राज़ खुल गया।
पुलिस ने ऐसे किया खुलासा
जांच में पता चला कि यह कोई अकेली वारदात नहीं थी। पूछताछ में सुनील ने कबूल किया कि गांव के हंसराज गुर्जर के कहने पर वह डमी उम्मीदवार बना।भीलवाड़ा पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज कर आरोपी को भरतपुर लाकर मथुरा गेट थाने में मामला दर्ज किया। अब पुलिस इस पूरे नेटवर्क की परतें खोलने में जुटी है।
तीन बार डमी बनकर दी परीक्षाएं
प्री-डीएलएड परीक्षा 2024 – डमी उम्मीदवार बनकर दी
डीएलएड परीक्षा 2025 – डमी उम्मीदवार बनकर दी
पशु परिचर परीक्षा 2024 – डमी उम्मीदवार बनकर दी
ऐसे होता था सौदा
पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी का नेटवर्क मज़बूत था। वह अभ्यर्थियों से मोटी रकम लेकर परीक्षा देता था।
पशु परिचर परीक्षा 2024 – ?6 लाख लिए
प्री-डीएलएड परीक्षा – ?25 हजार लिए
कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2025 – ?25 हजार तय
आरोपी तकनीकी जानकारी रखता था और आधार कार्ड में फोटो बदलकर फर्जी पहचान पत्र तैयार करता था। फोटो मिलान होने के कारण अब तक वह पकड़ से बचता रहा।
नया डेटाबेस बनेगा हथियार
प्रदेश सरकार अब एक नया डिजिटल डेटाबेस तैयार कर रही है। इसमें प्रत्येक परीक्षार्थी की फोटो, फिंगरप्रिंट और परीक्षा हिस्ट्री दर्ज होगी। इससे बायोमेट्रिक वेरिफिकेशन के दौरान तुरंत पता चल जाएगा कि उम्मीदवार किन-किन परीक्षाओं में शामिल हुआ है।अधिकारियों का दावा है कि इससे डमी उम्मीदवारों और नकल माफियाओं पर सख्त नकेल कसी जा सकेगी।