पिरूल से कोयला बनाने के सीखें गुर

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नई टिहरी : वनाग्नि शमन एवं रोकथाम परियोजना के तहत हंस फाउंडेशन की पहल पर मसूरी वन प्रभाग की जौनपुर रेंज के विभिन्न गांवों के वनाग्नि प्रबंधन समिति के सदस्यों को वनाग्नि रोकथाम, चीड़ के पिरुल से बायो-ब्रिकेट (कोयला) बनाने का विशेष प्रशिक्षण दिया गया। कहा कि इससे जहां पर्यावरण संरक्षण होगा, वहीं वनों को आगे सभी बचाया जा सकेगा। जौनपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत अलमस, रौतू की बेली, ब्रह्मसारी, फेडी-किमोड़ा आदि गांव के किसानों व वनाग्नि प्रबंधन समिति के सदस्यों को थत्यूड़ में हंस फाउंडेशन के एक्सपर्ट ने यह प्रशिक्षण दिया। हंस फाउंडेशन के मोटिवेटर रणजीत सिंह ने बताया कि प्रशिक्षण उद्देश्य ग्रामीणों को वैकल्पिक ईंधन उपलब्ध कराने के साथ ही वनों में आग लगने की घटनाओं को न्यून करना है। चीड़ के पिरूल जंगलों में आग लगने का बड़ा कारण होता है। इस परियोजना के तहत पिरूल को हटाकर उसे बायो-ब्रिकेट में परिवर्तित किया जा रहा है। (एजेंसी)

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