– थ्री डी मानचित्र तैयार कर हर्षिल घाटी का वृहद स्तर पर डाटा एकत्रित होगा
देहरादून। आपदा प्रभावित हर्षिल घाटी का लिडार सर्वे शुरू कर दिया गया है। इसके लिए चीता हेलीकॉप्टर का उपयोग किया जा रहा है। इसमें हर्षिल घाटी का थ्री डी मानचित्र तैयार करने के साथ ही वृहद स्तर पर डाटा एकत्रित किया जा रहा है। जो बाढ़, भूस्खलन के साथ ही अन्य आपदाओं की स्थिति में कारगर साबित होगा। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण के भू आपदा अनुसंधान और प्रबंध केंद्र कोलकाता ने वर्ष 2022 में हिमालयी राज्यों में आपदा के नुकसान को कम करने के लिए लिडार सर्वे का सुझाव अपने एक शोध में दिया था। इस शोध में संस्थान की टीम ने उत्तरकाशी के ही भटवाड़ी क्षेत्र का लिडार सर्वे किया था। इस शोध रिपोर्ट में कहा गया था लिडार सर्वे से भूस्खलन, हिमस्खलन जोन चिन्हित करने के साथ ही उनकी पहचान में स्पष्टता होने की वजह से आपदा से नुकसान को कम किया जा सकता है। अब धराली की आपदा के बाद वैज्ञानिकों की टीम ने पूरी हर्षिल घाटी का लिडार सर्वे शुरू कर दिया गया है। इससे इस पूरे इलाके की भू पारिस्थितिकी का आंकलन कर डाटा एकत्रित करने के साथ ही थ्री डी मानचित्र भी तैयार किया जाना है। जो भविष्य में आने वाली आपदाओं के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होगा। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक फिलहाल वैज्ञानिकों की टीम के साथ चीता हेलीकॉप्टर की मदद से हर्षिल घाटी में लिडार सर्वे को शुरू कर दिया गया है। झीलों की मॉनिटरिंग के लिए सेंसर लगेंगे धराली और हर्षिल में अधिक ऊंचाई पर स्थिति सभी झीलों पर सेंसर लगाए जाने हैं। मुख्य सचिव के आदेश के बाद उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र को नोडल एजेंसी बनाया गया है। वह नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के साथ मिलकर सेंसर लगाने का काम करने जा रहा है। इससे झीलों पर निगरानी के साथ ही वार्निग सिस्टम भी तैयार होने की उम्मीद है। भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम पहुंची भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम भी हर्षिल पहुंच गई है। भूगर्भ और खनन के संयुक्त निदेशक के नेतृत्व में वैज्ञानिकों की टीम हर्षिल और धराली क्षेत्र के अध्ययन कर रहे हैं। इस टीम की रिपोर्ट के आधार पर ही यहां जमा हजारों टन मलबे को हटाने या फिर सुरक्षित करने पर निर्णय लिया जाना है।