लोकसभा चुनाव और राजनीतिक दलों के कार्यालयों में पसरा हुआ सन्नाटा

Spread the love

अल्मोड़ा। लोकसभा चुनाव में अब एक पखवाड़ा भी नहीं रह गया है। निर्वाचन आयोग द्वारा आचार संहिता लागू करने के साथ ही चुनाव की औपचारिक घोषणा भी कर दी गई। राज्य में सभी पाँचों सीटों पर 19 अप्रैल को लोकसभा चुनाव तय हैं। अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय सीट पर इस बार भी पिछली बार की तरह भाजपा और कांग्रेस मुख्य दल हैं जिनकी सीट पर दावेदारी रहती है। दोनों दलों के प्रत्याशी भी पारम्परिक प्रत्याशी कहे जाएं तो अनुचित नहीं होगा। 2009 के लोकसभा चुनाव से भाजपा की तरफ से अजय टम्टा और कांग्रेस की तरफ से प्रदीप टम्टा दावेदारी करते आ रहे हैं। वर्तमान की बात करें तो चुनाव को अधिक समय नहीं है और चुनाव प्रचार भी शुरू हो गया है लेकिन जनता जनार्दन खामोश बैठी हुई है। चुनाव का होहल्ला भी कुछ खास नहीं सुनाई दे रहा है। अल्मोड़ा जिला मुख्यालय की बात करें तो पूरे दिन में एकाध बार सड़क पर अनाउंस करती गाड़ी से प्रचार की आवाज सुनाई दे जाती है। लेकिन चुनाव का माहौल नहीं लगता। बाजार में आचार संहिता लागू होने के बाद से आम दिनों से भीड़ में भी कमी आ गई है। चुनाव नजदीक हैं लेकिन चुनावों को लेकर चर्चा भी कम दिख रही है। बड़ी बात है कि राजनीतिक पार्टियों को भी प्रचार के लिए कार्यकर्ता भी नहीं मिल रहे हैं या कम मिल रहे हैं। पहले के चुनावों में पार्टी के कार्यालय जो कार्यकर्ताओं से पटे रहते थे, वहां गिने-चुने कार्यालय प्रभारी व अन्य पदाधिकारी ही मिल रहे हैं। पदाधिकारियों को ही प्रचार में निकलना पड़ रहा है। कार्यकर्ताओं में भी चुनाव प्रचार के प्रति मोहभंग हो रहा है। कमोबेश यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों में भी है। वहाँ भी पूर्व के हिसाब से मानें तो जहाँ प्रचार में कार्यकर्ताओं की टोलियां चला करती थी, आज कार्यकर्ता दिखने दूभर हो गए हैं। चुनाव के प्रति कार्यकर्ताओं का मोहभंग क्यों हो रहा है यह तो राजनीतिक दल ही जानें लेकिन कार्यकर्ताओं के बिना चुनाव अधूरा लगता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *