उत्तराखंड

देवों के देव महादेव भगवान शिव की महिमा अनंत है-श्री महंत रविन्द्रपुरी

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हरिद्वार। गुरू पूर्णिमा महोत्सव के अवसर पर खड़खड़ी स्थित श्री बाल ब्रह्मचारी मिशन निर्धन निकेतन में आयोजित की जा रही श्री शिव महापुराण कथा के प्रथम दिन सर्वप्रथम श्रद्घालु भक्तों द्वारा निर्धन निकतेन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामीाषि रामष्ण महाराज के सानिध्य में भव्य कलश यात्रा निकाली गयी। कलश यात्रा के उपरांत स्वामीाषि रामष्ण महाराज, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, बाबा हठयोगी, महंत दुर्गादास आदि संत महापुरूषों ने व्यासपीठ का पूजन कर व कथा व्यास सत्यराज शास्त्री वृन्दाधाम वाले का तिलक कर श्री शिव महापुराण कथा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने श्रद्घालु भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होने वाले देवों के देव महादेव की महिमा अनंत है। महादेव शिव अपनी शरण में आने वाले प्रत्येक भक्त का कल्याण करते हैं। उन्होंने कहा कि शिव महापुराण का श्रवण व मनन करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और परिवार में सुख समृद्घि का वास होता है। महाण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद एवं पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि श्रद्घा पूर्वक श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करने वाले श्रद्घालु का जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि कथा श्रवण करने के साथ कथा से प्राप्त ज्ञान को जीवन आचरण में धारण करें और दूसरों को भी कथा श्रवण के लिए प्रेरित करें। निर्धन निकेतन आश्रम के परामध्यक्ष स्वामीाषि रामष्ण महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करने से भगवान शिव के साथ मां पार्वती की पा भी श्रद्घालु भक्तों को सहज ही प्राप्त हो जाती है। शिव शक्ति की सम्मिलित पा से महान पुण्य की प्राप्ति होती है। पुण्यकर्मो से भाग्य उदय होता है और सुख संपत्ति की प्राप्ति होती है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कथा श्रवण अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप महाराज, स्वामी शिवानंद, महंत मोहनसिंह, महंत दामोदर शरण दास, बाबा हठयोगी, महंत रघुवीर दास, महंत बिहारी शरण, महंत प्रह्लाद दास, महंत विष्णुदास, स्वामी चिदविलासानंद, संत हरमेल सिंह, पार्षद महावीर वशिष्ठ सहित बड़ी संख्या में श्रद्घालु भक्त मौजूद रहे।

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