चेन्नई , मद्रास हाईकोर्ट ने करूर भगदड़ मामले में दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। यह याचिका तमिलगा वेत्री कझगम (ञ्जङ्क्य) के नेता द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी। इस भगदड़ में कई लोगों की मौत हो गई थी और दर्जनों घायल हुए थे।
घटना कुछ महीने पहले करूर में ञ्जङ्क्य द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी, जहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, भीड़ अचानक बेकाबू हो गई और अफरा-तफरी में कई लोग कुचल गए। पुलिस ने इस घटना के बाद ञ्जङ्क्य नेताओं पर आयोजन में लापरवाही और सुरक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की थी।
ञ्जङ्क्य नेता ने अदालत में दलील दी कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा था और इसमें उनकी कोई व्यक्तिगत लापरवाही नहीं थी। उन्होंने कहा कि पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर उनके खिलाफ झूठा मामला दर्ज किया है। दूसरी ओर, सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि कार्यक्रम बिना उचित अनुमति के आयोजित किया गया था और सुरक्षा इंतजाम बेहद कमजोर थे।
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत जल्द ही अपना निर्णय सुनाएगी कि एफआईआर रद्द होगी या जांच आगे बढ़ेगी। इस मामले ने तमिलनाडु में राजनीतिक हलचल तेज कर दी है, जहां विपक्ष इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहा है, जबकि सत्ताधारी दल इसे कानून-व्यवस्था से जुड़ा मामला मान रहा है।