मदरसा शिक्षकों को हाईकोर्ट से राहत

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– अल्पसंख्यक कल्याण सचिव को समिति गठित कर मानदेय भुगतान करने के निर्देश
नैनीताल(। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने मदरसा शिक्षकों के मानदेय के भुगतान से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सचिव अल्पसंख्यक कल्याण से एक समिति गठित कर इन शिक्षकों के मानदेय और अन्य देयकों का 4 माह के भीतर भुगतान करने का निर्देश दिया है। इन याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई।
याचिकाकर्ता पारुल सैनी ने राज्य सरकार और अन्य प्रतिवादियों से अपना बकाया वेतन और मानदेय का भुगतान करने का निर्देश देने की मांग की थी, जो अप्रैल 2016 से लंबित था। पारुल सैनी को 2011 में रुड़की के भारतीय पब्लिक स्कूल, जो कि उत्तराखंड मदरसा बोर्ड से पंजीकृत है, में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्हें राज्य सरकार से 12 हजार रुपए प्रति माह का मानदेय मिल रहा था।
लेकिन वित्तीय वर्ष 2016-17 के बाद इसका भुगतान बंद कर दिया गया। सरकार की ओर से पेश किए गए एक जवाबी हलफनामे में कहा गया कि यह भुगतान केंद्र सरकार की मदरसों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की योजना (एस पी क्यू ई एम) के तहत किया जाता है। जिसमें केंद्र और राज्य का खर्च 90:10 के अनुपात में वहन होता है। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि संबंधित स्कूल यू-डाइस कोड 97 के तहत पंजीकृत नहीं पाया गया, जिसके कारण केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए धन जारी नहीं किया।
दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से कोर्ट को सूचित किया कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए उत्तराखंड राज्य सरकार को उक्त योजना के तहत 8.31 करोड़ रुपए की राशि जारी की थी। केंद्र और राज्य सरकारों के जवाबी हलफनामों में विरोधाभासी तथ्यों और संबंधित स्कूल के लिए वित्तीय सहायता पर स्पष्टता की कमी को देखते हुए, कोर्ट ने इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण सचिव को एक उच्च-स्तरीय समिति गठित करने का निर्देश दिया। इस समिति में अपर सचिव स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में कम से कम तीन अधिकारी शामिल होंगे, जिनमें से एक सदस्य जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी के पद से नीचे का नहीं होना चाहिए।
इस समिति को याचिकाकर्ताओं के मानदेय और बकाया समेत उनके दावों पर चार महीने के भीतर विचार करना होगा। यदि समिति यह पाती है कि याचिकाकर्ता मानदेय के हकदार हैं, तो देय राशि का भुगतान अगले दो महीने के भीतर जारी कर दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा एसपीक्यूईएम के तहत अतिरिक्त धन जारी करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) को भेजे गए अनुरोध पर भी दो महीने के भीतर विचार करने का निर्देश दिया है।

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