महाराष्ट्र सरकार ने मानी मनोज जरांगे की मांग, खत्म किया 5 दिन से चल रहा अनशन

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मुंबई ,। महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 5 दिनों से मुंबई के आजाद मैदान पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल की मांगे मान ली है। इसके बाद जरांगे ने अपना अनशन खत्म कर दिया। जरांगे ने कहा कि सरकार ने मराठा समुदाय को कुनबी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा देने समेत अन्य मांगे मान ली है।
जरांगे ने कैबिनेट मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, शिवेंद्र राजे भोंसले और जय कुमार गोरे की उप समिति के साथ बैठक के बाद कहा, हम जीत गए हैं। सरकार हमारी मुख्य मांग पर सहमत हो गई है, जिससे आरक्षण का रास्ता साफ हो गया है। सरकार की ओर से आज ही कुछ देर में जीआर यानी सरकारी आदेश जारी किया जाएगा। अधिकारी जीआर प्रक्रिया के लिए रवाना हो गए। जीआर आने के बाद आंदोलन को समाप्त कर दिया जाएगा।
जरांगे ने बताया कि सरकार ने आरक्षण आंदोलन में जान गंवाने वालों के परिजनों को एक सप्ताह में 15 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का फैसला किया है। इसके अलावा एक आश्रित को राज्य परिवहन बोर्ड में नौकरियां दी जाएंगी। इसी तरह प्रदर्शकारियों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मुदकमों को भी सितंबर के अंत तक वापस लेने का वादा किया है। जरांगे ने कहा कि सरकार को बच्चे की अच्छी पढ़ाई को देखते हुए सरकारी नौकरी भी देनी चाहिए।
समिति ने जरांगे को बताया कि कुनबी और मराठा को एक ही समुदाय बताने वाला सरकारी आदेश जारी करने के लिए कानूनी विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में 2 महीने लग सकते हैं। इस पर जरांगे सहमत हो गए।
जरांगे ने बॉम्बे हाई कोर्ट को भरोसा दिलाते हुए कहा कि उनके अधिकांश समर्थक या तो मुंबई छोड़ चुके हैं या मंगलवार को छोड़ देंगे। उन्होंने कहा, हम लोग मुंबई के रास्ते समझते नहीं हैं। आप लोगों ने गाड़ियों पर 5,000 का दंड लगाया है, उसे वापस लीजिए। सरकार ने बात मानी है। हम यहां से जश्न मनाकर ही जाएंगे। जश्न का मतलब हुल्लड़बाजी नहीं है। जीआर लेकर आइए तुरंत हम आंदोलन खत्म कर गुलाल उड़ाएंगे।
सुबह मुंबई पुलिस ने हाई कोर्ट के आदेशों को लेकर जरांगे को नोटिस भेजकर तत्काल आजाद मैदान खाली करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि आंदोलन के कारण पूरा शहर ठहर गया है। यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण नहीं है और इसमें सभी शर्तों का उल्लंघन किया गया है। ऐसे में मंगलवार दोपहर तक मुंबई की सभी सड़कें खाली कराई जानी चाहिए। इसको लेकर पुलिस ने सुबह से ही समर्थकों को हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी थी।
पुलिस के नोटिस के बाद जरांगे ने 5,000 लोगों को छोड़कर सभी समर्थकों को वापस लौटने के लिए कह दिया था, लेकिन पुलिस आजाद मैदान को पूरी तरह से खाली करने पर अड़ गई। पुलिस ने समर्थकों को वहां से हटाने की कार्रवाई भी शुरू कर दी। इस पर जरांगे समर्थक और पुलिस के बीच तीखी झड़प हो गई। आंदोलनकारियों ने भी स्पष्ट कर दिया कि जरांगे के आजाद मैदान खाली न करने तक वह भी वहां से नहीं हटेंगे।
बता दें कि 43 वर्षीय जारंगे ने मराठों को अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल करने की मांग को लेकर गत 29 अगस्त को अपने 5,000 समर्थकों के साथ आजाद मैदान पर अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया था। हालांकि, उसके बाद हजारों समर्थक बसों और ट्रकों में सवार होकर आंदोलन में शामिल होने के लिए मुंबई पहुंच गए थे। इससे मुंबई में जाम के हालात बन गए थे। लोगों को आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

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