भारतीय संस्कृति के संरक्षण में महर्षि दयानंद का अहम योगदान: बालकृष्ण

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आर्य महासम्मेलन में बोले पतंजली योगपीठ ट्रस्ट के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार: पतंजली योगपीठ ट्रस्ट के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारतीय संस्कृति के सरंक्षण में महर्षि दयानंद का अहम योगदान रहा है। उन्होंने सदैव समाज को बेहतर दिशा देने का कार्य किया। कहा कि यदि महर्षि दयानंद न होते तो भरतीय संस्कृति न होती और न आज हम इस रूप में होते।
तीन दिवसीय आर्य महासम्मेलन का शुभारंभ आचार्य बालकृष्ण ने दीप प्रज्जवलित कर किया। उन्होंने कहा कि आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती ने जो आर्यव्रत को वैदिक डगर का ज्ञान दिया। संपूर्ण आर्यव्रत महर्षि दयानंद का सदैव ऋणी रहेगा। कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को स्थापित करने में भी आर्य समाज से जुड़े विद्वानों का बड़ा योगदान रहा है। आर्य समाज के विद्धान वैदिक धर्म के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। कहा कि हमें इस संस्कृति व सभ्यता को आगे बढ़ाने के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने युवाओं से भी महापुरुषों से जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की। कहा कि महापुरुषों से बताए मार्ग पर चलने से हम अपना जीवन सफल बना सकते हैं। आर्य महासम्मेलन स्थल पर पुस्तकों का स्टाल भी लगाया गया था। इसके उपरांत शहर में भव्य झांकी भी निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों व महिलाओं ने भाग लिया इस मौके पर श्रीकांत विमल, शकुंतला, गणेशी देवी, बीना देवी, विश्वेश्वरी रोशनी देवी, मनोज कुमार, डीपी यादव, यशपाल आर्य, मनमोहन असवाल, स्नेहलता, नंदनी गुप्ता, ज्ञान चंद गुप्ता, प्राणनाथ खुल्लर, शीला गुप्ता,विनोद राणा आदि मौजूद रहे।

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