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मैड ने जॉलीग्रांट हवाई अड्डा निदेशक के बयान को बताया बेबुनियाद

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देहरादून। देहरादून के छात्रों के संगठन मेकिंग डिफरेंस बाय बींग द डिफरेंस (मैड) ने हाल ही में जारी हुए जौलीग्रांट हवाई अड्डे के निदेशक डी के गौतम के बयान पर प्रतिरोध जताया है। डी के गौतम के बयान के अनुसारसोशल मीडिया पर, थानो बचाओं अंदोलन चलाया जा रहा हैं, जो कि कुछ लोगों द्वारा आधी अधूरी जानकारी के साथ भ्रम जाल फैलाने का काम कर रहा हैं, जबकि एयरपोर्ट विस्तार परियोजना का प्रस्ताव पर्यावरण और वन मंत्रालय के दिशा निर्देशों को ध्यान मे रखते हुये लाया गया है और राज्य सरकार काटे जाने वाले पेडो के बदले पौधा रोपण के लिये जगह भी देखी जा रही है। इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुये मैड संस्था नें कहा कि थानो क्षेत्र के लगभग सभी पेड़ 200 वर्ष से ज्यादा की उम्र के है। पहले से ही विकसित वन क्षेत्रों की भरपाई नये पौधे लगाने से नहीं हो सकती। पहले भी सरकार द्वारा दो लाख पौधे रोपे गये थे जिसमें से आज 80 प्रतिशत पौधे मर चुके है। थानों वन क्षेत्र के बचाव हेतु कोई भ्रम जाल नहीं फैलाया जा रहा हैं। एयरपोर्ट विस्तार प्रस्ताव के अनुसार थानों क्षेत्र के 10,000 पेडों का कटाव अनिवार्य हैं, जो कि पर्यावरण के परिपेक्ष्य से बेहद विनाशकारी साबित हो सकता हैं तथा इससे वन्य जीवों पर भी प्रभाव पडेगा। संस्था ने तथ्यों के साथ इस बयान को बेबुनियाद करार दिया। मैड संस्था ने कहा जो इस योजना को पर्यावरण पर प्रभाव के नजरिए से अध्ययन कर रही कंपनी है, ग्रीन सी इंडिया कंसलटिंग प्राइवेट लिमिटेड, गाजियाबाद, उसकी ओर से एक रिपोर्ट तैयार की गई है जिसमें कहा गया है कि जिस जगह पर यह योजना लाई जा रही है, वहा ना कोई घना जंगल है और न ही वहां पर शेड्यूल वन फौना हैं, जबकि स्थानीय लोगों के अनुसार, हाल ही में वहा बाघ और हाथियों की आवाजाही देखने को मिली थी। कुछ दिन पहले ही मैड संस्था का एक प्रतिनिधिमंडल प्रमुख वन संरक्षक से मिलकर इस विषय पर ज्ञापन सौंप कर भी आया है। अपने बयान को जारी रखते हुये संस्था ने इस ओर भी प्रकाश डाला कि संस्था की ओर से पूर्ण रूप से अध्ययन करने के बाद ही थानों बचाओ आंदोलन का आह्वान किया गया हैं, और जब तक सरकार इस परियोजना पर पुर्नविचार के लिये नहीं सोचती तब तक संस्था निंरतर इस मुद्दे को उठाती रहेगी।

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