जयपुर की स्वच्छता में बड़ी छलांग : दोनों नगर निगम टॉप-20 में शामिल

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जयपुर , स्वच्छ सर्वेक्षण 2024 की रैंकिंग में जयपुर ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए अपनी छवि को न केवल निखारा है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित भी किया है। पहली बार जयपुर के दोनों नगर निगम—ग्रेटर और हेरिटेज—देश के टॉप 20 सबसे स्वच्छ शहरों की सूची में शामिल हुए हैं। ग्रेटर निगम को देशभर में 16वीं और हेरिटेज निगम को 20वीं रैंक मिली है। यह उपलब्धि खास इसलिए भी है क्योंकि 2023 में इन दोनों निगमों की रैंक क्रमश: 173 और 171 थी।
इस बार की रैंकिंग में जयपुर ने दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों की श्रेणी में यह सम्मान पाया है। यह केवल नगर निगम की योजनाओं या कागजी कामयाबी नहीं है, बल्कि जमीन पर हुई मेहनत, तकनीकी नवाचार और जनसहभागिता का नतीजा है।
वहीं, राजस्थान के डूंगरपुर ने छोटी आबादी वाले शहरों की श्रेणी में देशभर में पहला स्थान हासिल कर सभी को चौंका दिया है। उसे ‘स्मॉल सिटी सुपर स्वच्छ लीगÓ में भी शामिल किया गया है। राज्य स्तर पर डूंगरपुर को सबसे स्वच्छ शहर घोषित किया गया है। उसके बाद जयपुर ग्रेटर को दूसरा और हेरिटेज को तीसरा स्थान दिया गया है। इसके अलावा उदयपुर, सीकर, जैसलमेर, भरतपुर, चूरू, नाथद्वारा, पुष्कर और सांभर जैसे शहर भी राज्य के टॉप-10 स्वच्छ शहरों में शामिल हुए हैं।
जयपुर नगर निगम ग्रेटर की सफलता के पीछे ठोस रणनीति और मजबूत क्रियान्वयन रहा है। इस बार निगम ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट और कंस्ट्रक्शन वेस्ट प्रोसेसिंग प्लांट जैसे बड़े और असरदार कदम उठाए। पूर्व निगमायुक्त रुक्मणि रियाड की निगरानी में स्वच्छता अभियान को दिशा दी गई। उनकी अगुवाई में शहर की मुख्य सड़कों से खुले कचरा डिपो हटाने, डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन को व्यवस्थित करने और नाइट स्वीपिंग की शुरुआत जैसे प्रयास किए गए। इन सभी पहलों ने रैंकिंग में सुधार लाने में अहम भूमिका निभाई।
केंद्र सरकार द्वारा किए गए इस स्वच्छ सर्वेक्षण में सफाई व्यवस्था, सौंदर्यीकरण, कचरे के निष्पादन, शौचालयों की स्थिति और आमजन में जागरूकता जैसे मापदंडों पर शहरों का आकलन किया गया। पूरे देश से अधिकारी आए और उन्होंने निरीक्षण कर फील्ड पर वास्तविक स्थिति को देखा, जिसके बाद रैंकिंग जारी की गई।
जयपुर ने जिस तरह से पिछली रैंकिंग से खुद को सुधारते हुए टॉप 20 में जगह बनाई है, वह केवल एक प्रशंसा नहीं, बल्कि आने वाले समय के लिए एक बड़ी जिम्मेदारी है। यह उपलब्धि शहरवासियों, सफाईकर्मियों, अधिकारियों और नीति निर्माताओं के सामूहिक प्रयासों का परिणाम है। अब चुनौती है इस रफ्तार को बनाए रखने और आने वाले वर्षों में स्वच्छता के मामले में नंबर-1 बनने की ओर बढ़ने की।
डूंगरपुर की सफलता यह भी दिखाती है कि छोटे शहर भी बड़े बदलाव की मिसाल बन सकते हैं। स्वच्छता अब केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि सामाजिक आंदोलन बन चुका है – जिसमें हर नागरिक की भागीदारी ही असली रैंकिंग तय करती है।

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