गुलदार, बाघ व भालू के हमलों पर प्रभावी नियंत्रण हेतु हॉटस्पॉट चिन्हित कर विशेष रणनीति बनाएं
जंगली जानवरों की बढ़ती सक्रियता पर जिलाधिकारी की समीक्षा बैठक
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : जनपद में गुलदार एवं बाघ सहित अन्य जंगली जानवरों की सक्रियता को देखते हुए जिलाधिकारी स्वाति एस. भदौरिया की अध्यक्षता में वन विभाग, समस्त उपजिलाधिकारी और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक आयोजित की गयी। जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि जिन क्षेत्रों में घटनाएं अधिक हो रही हैं, वहां वन विभाग नियमित गश्त सुनिश्चित करें तथा प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा उपाय और प्रभावी बनाए जाएं।
बैठक में गुलदार/बाघ प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति, जंगली जानवरों के हमलों से पीड़ितों को मुआवजा वितरण, जागरुकता कार्यक्रमों की प्रगति तथा पिछले तीन वर्षों के आँकड़ों पर विस्तृत चर्चा हुई। गुलदार के हमलों को कम करने के लिए जिलाधिकारी ने एसडीओ को ऐसे स्थान चिन्हित करने के निर्देश दिए जहां जंगली जानवरों का खतरा अधिक रहता है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज विभाग द्वारा बुशकटर खरीदे जाएं, ताकि कार्य तेजी से संपन्न हो सके। जिलाधिकारी ने सिविल सोयम क्षेत्र में सर्वे कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हॉटस्पॉट को मैप्स पर चिन्हित कर स्थानीय स्तर पर शेयर किया जाय। उन्होंने नाइट विजन ड्रोन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने एनिमल टैगिंग, प्रचार-प्रसार को महत्वपूर्ण बताया तथा सर्वे हेतु शोधार्थियों, उपकरणों आदि की सहमति प्रदान की। कृषि क्षेत्रों में बंदरों से होने वाली समस्याओं पर जिलाधिकारी ने कृषि विभाग को वन विभाग के साथ समन्वय स्थापित कर पायलट प्रोजेक्ट संचालित करने को कहा। उन्होंने कृषि अधिकारी को 10 दिन के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने डीएफओ से गुलदार, बाघ एवं भालू के हमलों को कम करने हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी ली। उन्होंने वन विभाग को सिविल क्षेत्रों का सर्वे कर स्थिति का अद्यतन आंकलन करने के निर्देश दिए। साथ ही पुलिस विभाग को बेहतर निशानेबाजी करने वाले पुलिस कर्मियों की सूची उपलब्ध कराने और वन विभाग को सक्षम कार्मिक चिन्हित करने को कहा, ताकि आवश्यकता पड़ने पर त्वरित कार्रवाई की जा सके। उन्होंने बताया कि आपात स्थिति में ग्राम प्रहरी भी वन विभाग के साथ सहयोग करेंगे, वहीं गुलदार प्रभावित क्षेत्रों में पीआरडी जवानों की गश्त को बढ़ाने हेतु डीएफओ को प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने भी कहा कि जहां वन्य जीवों की सक्रियता अधिक है ऐसे 20 गांवों को पहले चिन्हित किया जाएगा। साथ ही किसी एक्सपर्ट संस्था से इन क्षेत्रों का सर्वे भी कराया जायेगा। इस अवसर पर डीएफओ गढ़वाल अभिमन्यु सिंह, डीएफओ सिविल एवं सोयम पवन नेगी, संयुक्त मजिस्ट्रेट दीक्षिता जोशी, सीओ पुलिस तुषार बोरा, एसडीओ वन ल्क्की शाह सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
महिलाएं चारापत्ती लेने रिफ्लेक्टिंग जैकेट पहनकर एक साथ जाएं
डीएफओ लैंसडाउन जीवन मोहन दगाड़े ने फॉक्स लाइट, सोलर लाइट, बायो फेंसिंग आदि की जानकारी दी। उन्होंने वन्यजीवों के लिए फोकल पॉइंट बनाने तथा अन्य सावधानी बरतने पर बल दिया। साथ ही डीएफओ कालागढ़ तरुण श्रीधर ने टास्क फोर्स बनाने, बायोचार द्वारा झाड़ियों के समाधान पर बल दिया। इन पर संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी ने वन्यजीव प्रभावित गांवों का माइक्रोप्लान बनाने, गांवों को चिन्हित कर पायलट प्रोजेक्ट पर कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने कहा कि महिलाएं चारा पत्ती लेने रिफ्लेक्टिंग जैकेट पहनकर एक साथ जाएं। बैठक में डीएफओ ने बताया कि गुलदार, भालू सहित जंगली जानवरों के हमलों से बचाव हेतु प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। वन कर्मियों को हथियार प्रशिक्षण दिया जा रहा है तथा विद्यालयों के विद्यार्थियों को भी जागरूक किया जा रहा है।