सीएम ने चुनाव आयोग पर लगाया बंगाल के अधिकारियों को धमकाने का आरोप
कोलकाता ,। बंगाल में भी एक तरह से चुनावी बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग के अनुसार पश्चिम बंगाल में 2 नवंबर से एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण) शुरू हो सकता है। आयोग ने आज कोलाघाट में पूर्व मेदिनीपुर, बांकुड़ा और झाड़ग्राम जिलों के बीएलओ और ईआरओ-एईआरओ के साथ एक अहम बैठक में उक्त संकेत दिए। इधर बंगाल में एसआईआर की तैयारियां शुरू होते ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर विरोध में तन गईं है। आज उन्होंने राज्य सचिवालय के नवान्न सभागार से लाइव प्रेस कॉन्फ्रेंस की और साफ चेतावनी दी, “अगर किसी भी समुदाय के किसी भी नागरिक का नाम जल्दबाजी में रद्द किया जाता है, तो यह ठीक नहीं होगा। मैं कह रही हूं कि, आग से मत खेलो। बंगाल में अभी आपदा की स्थिति है। लोगों के घर और दस्तावेज बाढ़ में बह गए हैं। अब लोग अपने दस्तावेज कहां से जमा करेंगे? कुछ लोग त्योहारों की छुट्टियों पर बाहर गए हुए हैं। अब वे अपने दस्तावेज कैसे जमा करेंगे?” दुर्गा पूजा के दौरान बंगाल के नादिया जिले के दो नागरिकों को एनआरसी नोटिस मिले है। यह जानकारी साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया, “आपने एसआईआर के नाम पर एनआरसी नोटिस क्यों भेजे? असम सरकार किस अधिकार से बंगाल के लोगों को यह नोटिस भेज रही है? आगे-पीछे एसआईआर क्या है? क्या आप जबरदस्ती एनआरसी करेंगे? आप कभी नहीं कर पाएंगे। एसआईआर के नाम पर वोट काटने की साज़िश है। केंद्रीय एजेंसियों का राष्ट्रीयकरण करने की कोशिश है।” मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर बड़ा आऱोप लगाया है। ममता ने दावा किया है कि आयोग राज्य के अधिकारियों को धमका रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि उनकी सरकार ऐसी धमकियों को बर्दाश्त नहीं करेगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के नाम पर आग से खेल रही है। बनर्जी ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष रखने के नाम पर राजनीतिक दखल की कोशिश की जा रही है। उन्होंने भाजपा को घेरते हुए चेतावनी दी कि मतदाता सूची से छेड़छाड़ का कोई भी प्रयास लोकतंत्र के साथ विश्वासघात होगा। टीएमसी सुप्रीमो ने आश्चर्य जताया कि चुनाव आयोग के अधिकारी राज्य का दौरा करके सरकारी अधिकारियों को कैसे बुला सकते हैं, जबकि चुनाव की तारीखों की घोषणा अभी बाकी है। ममता बनर्जी ने दावा किया कि यह एसआईआर जैसा दिखता है वैसा नहीं है। इसका इस्तेमाल पश्चिम बंगाल में एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) जैसी प्रक्रिया को लागू करने के लिए एक कवच के रूप में किया जा रहा है। इस बीच, केंद्रीय मंत्री और बनगांव से भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने कहा कि डेढ़ करोड़ रोहिंग्याओं के नाम सूची से हटा दिए जाएंगे। उनकी इस टिप्पणी को लेकर ममता बनर्जी का सवाल है कि केंद्रीय मंत्री ने एसआईआर का काम शुरू होने से पहले ऐसा कैसे कह दिया? क्या हर चीज़ के पीछे ‘मीर जाफर’ का फैसला है? वो जो कहेगा वही होगा? आप बंगाल का बकाया नहीं देते, बंगाल को हर क्षेत्र में वंचित रखते हैं और जब चुनाव आते हैं, तो आपका पैसा बाहर आ जाता है! याद रखिए, बंगाल में हर समुदाय के लोग लड़ाकू हैं। वे लड़ेंगे और अपना अधिकार लेंगे। आप उन्हें दबा नहीं पाएंगे।” गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने बुधवार को अमित शाह पर हमला बोलते हुए उन्हें ‘मीर जाफर’ कहा था। आज फिर उन्होंने यही बात कही। चुनाव आयोग का एक प्रतिनिधिमंडल इस समय राज्य के दौरे पर है। मुख्य चुनाव अधिकारी ज्ञानेश भारती भी वहां मौजूद हैं। वे आज कोलाघाट गए और बीएलए को बैठक के लिए बुलाया। मुख्यमंत्री ने इसके लिए मुख्य चुनाव आयुक्त पर निशाना साधा। उनका सवाल है, अभी चुनाव नहीं हैं। राज्य अभी आयोग के अधीन नहीं आया है। तो आप बीएलए के साथ बैठक क्यों कर रहे हैं?” नाम लिए बिना ममता ने चेतावनी दी, “बकवास मत करो, भ्रष्टाचार के कई आरोप हैं, समय आने पर मैं इसका खुलासा करूंगी।”