भारत के संवैधानिक ढांचे पर आंच आई तो बंगाल चुप नहीं बैठेगा: ममता बनर्जी

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सीएम ने एनआरसी के बहाने भाजपा पर किया हमला
कोलकाता ,। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने असम से आए एक बंगाली व कूचबिहार के दिनहाटा निवासी उत्तम कुमार ब्रजबासी को असम द्वारा एनआरसी नोटिस जारी किए जाने पर बंगाल की सीएम का गुस्सा फूटा। सीएम ममता बनर्जी ने उक्त मुद्दे पर नाराजगी व्यक्त की है। सीएम ममता बनर्जी ने आज सुबह एक एक्स हैंडल पोस्ट में उन्होंने इस मुद्दे का जिक्र करते हुए केंद्र की भाजपा सरकार पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि यह नोटिस दरअसल बंगाल के लोगों की पहचान मिटाने की कोशिश है। उन्होंने साफ चेतावनी दी कि अगर भारत के संवैधानिक ढांचे को नष्ट किया गया तो बंगाल चुप नहीं बैठेगा। मुख्यमंत्री ने विपक्षी राजनीतिक दलों से इसके खिलाफ एकजुट होने का आह्वान भी किया।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र पर सुनियोजित हमला है। वहीं, क्षेत्र के विधायक उदयन गुहा ने भारतीय जनता पार्टी पर बंगाली विरोधी होने के कारण लगाया। उन्होंने भगवा पार्टी पर इस तरह की घटनाएं कराने का भी आरोप लगाया। हालांकि, बीजेपी ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया। एनआरसी का नोटिस पाने वाले उत्तम कुमार ब्रजबासी बांग्लादेश की सीमा से सटे कूचबिहार जिले के दिनहाटा के निवासी हैं। उनका परिवार लंबे समय से दिनहाटा में रहता है। उनका दावा है कि 50 साल की उम्र में वे कभी कूचबिहार से बाहर नहीं गए। हालांकि, असम सरकार ने उन्हें अवैध घुसपैठ के लिए नोटिस भेजा है। नोटिस में कहा गया है कि अगर वह इस महीने की 15 जुलाई तक उचित दस्तावेज पेश करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें घुसपैठिया माना जाएगा। स्वाभाविक रूप से इस नोटिस के मिलने के बाद से उत्तम की नींदें उड़ गई हैं।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज पूरे मामले पर सोशल मीडिया पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने अपने एक्स पर एक पोस्ट लिखा, “मैं यह जानकर स्तब्ध और बेहद परेशान हूं कि असम के विदेशी न्यायाधिकरण ने कूचबिहार के दिनहाटा के राजबंशी समुदाय के निवासी उत्तम कुमार ब्रजबासी को एनआरसी नोटिस भेजा है। वे 50 साल से अधिक समय से बंगाल के निवासी हैं। वैध पहचान पत्र होने के बावजूद उन्हें ‘विदेशी’ या ‘अवैध घुसपैठिया’ बताने की कोशिश की जा रही है। यह हमारे लोकतंत्र पर एक सुनियोजित हमला है।” मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में आगे कहा, “असम की भाजपा सरकार इस साजिश के जरिए बंगाल के हाशिए पर पड़े समुदायों को निशाना बना रही है। भाजपा बंगाल के लोगों से वोटिंग का अधिकार छीनकर, उन्हें डराकर और लोकतांत्रिक सुरक्षा उपायों का उल्लंघन करके उनकी पहचान मिटाने की कोशिश कर रही है। यह पूरी तरह से असंवैधानिक, जनविरोधी और खतरनाक है. बंगाल के लोग इस अन्याय को कभी स्वीकार नहीं करेंगे।” मुख्यमंत्री ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। संयोग से हाल के दिनों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों को बांग्लादेशी बताकर ‘धकेलने’ के बारे में मुखर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार दिनहाटा की घटना में उनका संदेश राजनीतिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। जानकार सूत्रों का मानना है कि बंगाल में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एनआरसी का मुद्दा एक बार फिर राज्य की राजनीति में प्रासंगिक होने वाला है।
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