मनुष्य को कर्म के अनुसार ही फल मिलता
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : जयहरीखाल विकासखंड के खुंडोली में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराणा के छठवें दिन भागवताचार्य सुधीर ध्यानी ने भगवान कृष्ण व रूक्मणी के विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि मनुष्य कर्म के अनुसार ही फल पाता है।
कथा में उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के अनुसार असली ज्ञानी वहीं होता है जिसके मन में कर्म को लेकर वैराग्य की भावना होती है। इसलिए मनुष्य को फल की इच्छा छोड़कर कर्म पर ध्यान देना चाहिए। क्योंकि मनुष्य जैसा कर्म करता है, उसे फल भी वैसा ही मिलता है। कहा कि रुक्मणी विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात लक्ष्मी जी का अवतार थी, रुक्मणी ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य व गुणों की प्रशंसा सुनी तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया। रुक्मणी का बड़ा भाई श्री कृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह राजा दमघोष के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणी को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने एक ब्राह्मण संदेशवाहक द्वारा श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया, तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए। इस मौके पर हयात सिंह नेगी, दीपक सिंह नेगी, विकास नेगी आदि मौजूद रहे।