चंडीगढ़, एजेंसी। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे भगवंत मान एक्शन मोड में आ गए हैं। पंजाब सरकार ने 57 पूर्व मंत्री और विधायकों को सरकारी बंगले खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया है। इसके लिए सरकार ने 26 मार्च तक का समय दिया है। तय समय पर आवास खाली नहीं करने वालों को कई गुना किराया देना होगा। बंगलों को खाली करने की सूची में पंजाब की सियासत के दिग्गज शिअद प्रधान सुखबीर बादल और कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्घू के नाम भी शामिल हैं।
पंजाब का निजाम बदल चुका है। नए मुख्यमंत्री 16 मार्च को शपथ लेने जा रहे हैं। सरकार बदलते ही सरकारी कार्यप्रणाली भी बदलने लगी है। मुख्यमंत्री पद पर अब परंपरागत चेहरों को हटाकर कमेडियन से नेता बने भगवंत मान शपथ ले रहे हैं। सत्ता संभालने से पहले ही मान ने भी नई मिली जिम्मेदारी को बखूबी निभाना शुरू कर दिया है। पिछली सरकार में 17 पूर्व मंत्री और 40 पूर्व विधायकों को सरकारी आवास और बंगले आवंटित हुए थे। चूंकि अब सरकार बदल गई है तो उन्हें नियम के मुताबिक इन्हें खाली करना होगा।
सरकार ने सभी 57 पूर्व मंत्री और विधायकों को बंगले खाली करने का अल्टीमेटम जारी किया है। इनमें पंजाब के पांच बार के मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल, शिअद प्रधान सुखबीर बादल, कांग्रेस प्रधान नवजोत सिंह सिद्घू, बिक्रम सिंह मजीठिया के नाम भी शामिल हैं। आवास खाली करने के लिए दिग्गजों को 26 मार्च तक का समय दिया गया है।
पंजाब में सत्ता या विपक्ष में रहने वाले मंत्री और विधायकों को चंडीगढ़ में सरकारी आवास आवंटित किए जाते हैं। सत्ता से बाहर होने या फिर विधायक नहीं बनने की स्थिति में आवंटित आवासों को 15 दिन के भीतर खाली करना होता है।
पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री रहे चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। पार्टी की तरफ से उन्हें चमकौर साहिब और भदौड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाया था। हालांकि वे इन दोनों सीटों से चुनाव हार गए। चुनाव परिणाम आने के बाद उन्होंने चंडीगढ़ स्थित मुख्यमंत्री आवास को खाली कर दिया है।