मौरी मेला 2025-26: सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और विकास की ओर एक कदम
जयन्त प्रतिनिधि।
पौड़ी : बीते 20 मार्च को मौरी मेला समिति अध्यक्ष सुबोध नैथानी के नेतृत्व में मौरी मेला समिति के प्रतिनिधि मंडल ने हर 12 साल में आयोजित होने वाले मौरी मेले के समग्र विकास के लिए पौड़ी विधायक राजकुमार पोरी से मुलाकात की। विधायक ने समिति को आश्वासन दिया कि यह मेला केवल उनके क्षेत्र की पहचान ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर है। इसे भव्य और दिव्य बनाने के लिए सरकार आवश्यक कदम उठाएगी और मेले में भाग लेने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए उचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करेगी।
इस अवसर पर पौड़ी नगर पालिका की नवनिर्वाचित अध्यक्ष हिमानी नेगी भी उपस्थित थीं। हिमानी नेगी ने भी आश्वस्त किया कि वे इस मेले को एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक धरोहर के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयासरत रहेंगी और इसे सफलता तक पहुंचाने के लिए हर संभव योगदान देंगी। मौरी मेला समिति को पूरा विश्वास है कि इस बार उत्तराखंड सरकार मेले के विकास को प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाएगी। समिति, सरकार के सहयोग से इस ऐतिहासिक मेले की भव्यता को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। गौरतलब है कि मौरी मेले का आयोजन हर 12 साल में ग्राम सभा तमलाग, पौड़ी गढ़वाल में किया जाता है। मौरी मेला समिति अध्यक्ष सुबोध नैथानी ने बताया कि आगामी मौरी मेला दिसंबर 2025 से शुरू होकर 7 जुलाई 2026 तक चलेगा। इस दौरान पांडव मंडाण की विशेष प्रस्तुतियां लगातार चलती रहेंगी, जो उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति को दर्शाएंगी। उन्होंने कहा कि इस बार मौरी मेले में ढोल बजाने वाले कलावंतों को 4 लाख रुपये बतौर मेहनताना दिया जा रहा है, जो अपने आप में एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह न केवल कलाकारों का सम्मान बढ़ाने वाला निर्णय है, बल्कि पारंपरिक लोकवाद्य वादकों के प्रोत्साहन की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा कि मौरी मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, आस्था और विकास का संगम भी है। यह न केवल श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद प्रदान करता है, बल्कि स्थानीय व्यापारियों के लिए भी नए अवसरों के द्वार खोलता है। ऐसे में सरकार और स्थानीय प्रशासन का सहयोग इसे और अधिक भव्य और आकर्षक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।