राइंकॉ चाक्यूसैण में बाल लेखन कार्यशाला शुरू
जयन्त प्रतिनिधि।
कोटद्वार : बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं एवं बच्चों की पत्रिका बाल प्रहरी द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सहयोग से राजकीय इंटर कॉलेज चाक्यूसैण में पांच दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला शुरू हो गई है। प्रधानाचार्य जगमोहन सिंह नेगी ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि आज हमारे समाज में कई अंधविश्वास व्याप्त हैं। हम बगैर सोचे समझे कई निर्णय लेते हैं। उन्होंने कहा कि जब हम किसी की कही व सुनी बातों पर बगैर सोचे समझे विश्वास कर लेते हैं तो इसे अंधविश्वास कहा जाता है। जब हम क्या, क्यों, कैसे, कहां आदि तर्क-वितर्क करके अपनी बात पर मनन करते हैं तो इसे वैज्ञानिक सोच या वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहा जाता है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की जरुरत है।
मुख्य अतिथि डॉ. सुरेंद्र सिंह नेगी खंड शिक्षा अधिकारी द्वारीखाल ने कहा कि विज्ञान बहुत रोचक विषय है। हम इसे समझकर पढ़ेंगे तो हमें बहुत ही आनंद आएगा। विज्ञान क्यों, कैसे, क्या जैसे सवाल पूछने व तर्क-वितर्क करने के लिए हमें उद्वेलित करता है। उन्होंने कहा कि हम सुबह से शाम तक अपने घर में विज्ञान के कई प्रयोग करते हैं। हमारा किचन किसी प्रयोगशाला से कम नहीं है। दूध से मक्खन बनाने, सब्जियों को संरक्षित करने, कंपोस्ट खाद बनाने, कृषि में नए-नए प्रयोग आदि हमारे लोक विज्ञान के अंग हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत बच्चों के मन में वैज्ञानिक सोच जाग्रत करने तथा उन्हें कक्षा में क्या, क्यों तथा कैसे आदि सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के पौड़ी जिला संयोजक एवं राइंकॉ किनसुर के विज्ञान शिक्षक महेंद्र सिंह राणा ने बच्चों को कविता के माध्यम से विज्ञान की अवधारणा बताई। उन्होंने कहा कि कविता कोई सिखाने की विधा नहीं है। हमारे आंतरिक मन के विचार ही कविता हैं। उन्होंने कहा कि हमें कविता व कहानी लिखने से पहले अपने पाठ्य पुस्तक व दूसरे लेखकों की कविताओं व कहानियांं को पढ़ना भी जरूरी है। कविता सत्र में पहले बच्चों ने अपने पाठ्य पुस्तक की कविताएं सुनाई। इस मौके पर बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा के सचिव व बाल प्रहरी के संपादक उदय किरौला सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।